झाड़ू तो झाड़न भई पड़ गई ढीली ढीली -बिना गंदगी साफ़ किये बिखर गई सब तीली

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झाड़ू तो झाड़न भई पड़ गई ढीली ढीली -बिना गंदगी साफ़ किये बिखर गई सब तीली
झाड़ू तो झाड़न भई पड़ गई ढीली ढीली -बिना गंदगी साफ़ किये बिखर गई सब तीली

झाड़ू तो झाड़न भई पड़ गई ढीली ढीली -बिना गंदगी साफ़ किये बिखर गई सब तीली

– अश्वनी भारद्वाज –

नई दिल्ली ,हैडलाइन पढ़ कर आप सोच रहे होंगे पंडित जी अब कवी भी बन गए हैं क्या | जो कविता भी लिखने लगे ,नहीं भाई नहीं, यह रचना हमने नहीं लिखी , तीन चार साल पहले हम साहित्यकार चौक मंडोली रोड पर एक कवि गोष्ठी में बैठे थे तब एक कविवर नें सुनाई थी | आज दिल्ली के चुनाव परिणाम देख हमें अचानक याद आ गई और सोचा सही कहा गया है जहां ना पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि |

समझ गए ना आप तीन चार साल पहले कवी महोदय को इस बात का एहसास हो गया था कि झाड़ू की तीलियाँ बिखरने वाली है | उस वक्त हमें तनिक भी आभास नहीं था जो पार्टी राजनीती में गंदगी साफ़ करने के मकसद से उतरी थी उसका मात्र एक दशक के भीतर यह हश्र होगा कि उसके मुखिया तक चुनाव हार जायेगें इतना ही नहीं उनके ज्यादातर संस्थापक सदस्य ,मंत्री और विधायक पूर्व हो जायेगें | हालांकि तीली किसी नें बिखेरी नहीं है बल्कि खुद इस पार्टी की
नीतियाँ तीलियाँ बिखेरने के लिए जिम्मेदार हैं | वरना क्या मजाल था कि शीला दीक्षित जैसी दिग्गज समेत पूरी कांग्रेस तथा भाजपा का दो-दो बार सफाया करने वाली पार्टी आज खुद उसी मुहाने पर आकर खड़ी हो गई है जिस पर उसने उन्हें खड़ा किया था |

तीलियाँ बिखरने की एक दो वजह नहीं है बल्कि दर्जनों वजह है जिसकी चर्चा हम बाद में करेगें | हमें आज भी याद है जब यह पार्टी सत्ता में आई थी तो अपने शपथ ग्रहण समारोह में अरविन्द केजरीवाल नें अपने विधायकों से कहा था कि सत्ता के अहंकार में कभी नहीं रहना वरना आपका भी वही हाल होगा जो आज कांग्रेस और भाजपा का हुआ है | दूसरों को मशवरा देना शायद सबसे आसान काम होता है जबकि उस पर खुद अमल विरले ही करते हैं | आपको याद दिला दें अरविन्द नें दिल्ली विधानसभा में एक बार चीख -चीख कर कहा था मोदी जी दिल्ली के मालिक हम है ,और इस जन्म में हमे हराना आपके बस की बात नहीं है |

अब तो आप समझ ही गए होंगे ना तो मोदी जी नें अभी दूसरा जन्म लिया है और ना ही अरविन्द नें | और शायद बुजुर्गों नें इसीलिए कहा है कभी बड़ा बोल नहीं बोलना चाहिए | अरविन्द नें कहा था हम देश की राजनीती बदलने आये है राजनीती बदली या नहीं बदली लेकिन खुद बदल गए और इतना ज्यादा बदल गए कि भ्रस्टाचार के आरोप में जेल दर्शन तक कर आये | मुझे आज अच्छे से याद है एक दिन शीला दीक्षित जी नें हमसे बातचीत में कहा था मैं रहूँ या न रहूँ आप देख लेना भ्रस्टाचार के आरोप में एक दिन यह सरकार जेल जायेगी और उसी दिन से इसकी उलटी गिनती शुरू हो जायेगी ,इसीका नाम है जैसी करनी वैसी भरनी शीला जी पर भ्रस्टाचार के आरोप लगाने वाले शीला जी को तो जेल नहीं भेज पाए लेकिन खुद जेल यात्रा कर आये | चुनाव में क्यों हारे ,भाजपा क्यों जीती यह विश्लेषण तो चलते रहेगें हम भी आपको विस्तार से बताते रहेगें लेकिन आज बस इतना ही …

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