मृत सफाई कर्मचारियों के आश्रितों को करुणामूलक आधार पर नौकरी मिलना बेहद मुश्किल : राहुल टांक
नई दिल्ली ( सी.पी.एन.न्यूज़ ) : एम सी डी पर्यावरण सहायक यूनियन के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष राहुल टांक का कहना है कि हमारे देश में कई सरकारी व अर्ध सरकारी विभागों में भिन्न भिन्न श्रेणी के कर्मचारी देशवासियों को अपनी सेवा प्रदान कर रहें है,, लेकिन इन सभी श्रेणियों का यदि आकलन किया जाए तो बाकी सभी के अनुपात में सफाई कर्मचारियों की मृत्यु दर काफी हद तक ज्यादा है।
राहुल कहते हैं अफसोस की बात ये है कि देश की राजधानी दिल्ली की प्रमुख सरकारी इकाई दिल्ली नगर निगम में मृत कर्मचारी जिन्होंने जीते जी धरती मां का श्रृंगार करते हुए देशवासियों को अपनी बहुमूल्य सेवा प्रदान की और आज उनके मरणोपरांत उसके परिवार के सदस्य एक अस्थाई नौकरी पाने के लिए दर दर की ठोकरें खा रहे है। सोचने का विषय है कि वो परिवार जिनके घर में कभी 40 से 50 हजार रुपए प्रतिमाह का वेतन आता था, आज वो एक एक रुपए के लिए मोहताज है और भीख मांगने तक पर मजबूर है।
राहुल टांक का कहना है कि कोई यूपीएससी का अभ्यर्थी भी यदि मेहनती है तो एक–दो या हद से हद तीसरी बार की परीक्षा देकर क्वालीफाई हो ही जाता है लेकिन एक मृत सफाई कर्मचारी के आश्रित को अनेकों परीक्षाओं से गुजर कर दो बार 89 दिनों की नियुक्ति तो बामुश्किल मिल जाती है लेकिन दैनिक वेतन भोगी पद की नियुक्ति पाना तो लोहे के चने चबाने के समान समझो, और ये प्रक्रिया आसान होने की बजाय दिन प्रतिदिन कठिन होती जा रही है। उनके अधिकार की नौकरी पाने के लिए उनसे इतनी औपचारिकताएं पूरी करने के लिए कहा जाता है, जिन्हे पूरी करते करते वो लोग थक हार कर घर बैठ जाते है क्योंकि वो रोज़ रोज़ दफ्तर के चक्कर लगाकर दुनिया भर के कर्जदार हो जाते है।
ये हाल दिल्ली नगर निगम के लगभग सभी बारह जोनों का है,जिनमे शासन प्रशासन की ओर से सुधार करने की बेहद आवश्यकता है।। अंत में राहुल टांक ने ये भी कहा कि यदि इस व्यवस्था में जल्द ही सुधार नहीं किया गया तो दिल्ली के प्रत्येक जोन में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन किए जायेंगे।