‘कोई सुझाव है तो हाईकोर्ट जाएं’, पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाने के मामले में दखल से सुप्रीम कोर्ट ने मना किया

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यूनियन कार्बाइड का कचरा
'कोई सुझाव है तो हाईकोर्ट जाएं', पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाने के मामले में दखल से सुप्रीम कोर्ट ने मना किया

मध्य प्रदेश के पीथमपुर में यूनियन कार्बाईड का कचरा नष्ट करने का विरोध करने वाली याचिकाओं का सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (27 फरवरी, 2025) को निपटारा कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दखल देने से मना कर दिया है. याचिकाकर्ता ने कचरे को भोपाल से लाकर पीथमपुर में जलाने पर रोक की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह प्रक्रिया विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर चल रही है. हाईकोर्ट इसकी निगरानी कर रहा है, जिसके पास कोई सुझाव हो, वह हाईकोर्ट में उसे रखे.

इंदौर के रहने वाले चिन्मय मिश्रा नाम के याचिकाकर्ता ने यूनियन कार्बाइड के कचरे को भोपाल से लाकर पीथमपुर में जलाने पर रोक की मांग की थी. याचिका में कहा गया था कि मामले में पीथमपुर के लोगों से सलाह नहीं ली गई है. कचरे को नष्ट करने से पीथमपुर में रेडिएशन का खतरा हो सकता है. अगर रेडिएशन फैलता है, तो उससे प्रभावित लोगों की चिकित्सा की सुविधा भी उस इलाके में नहीं है.

1984 में भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से ज़हरीली मिथाइल आइसोनेट गैस लीक हुई थी. इससे 8 हजार से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी. साथ ही, हजारों लोग अपंगता, अंधेपन और दूसरी विकृतियों के शिकार हुए थे. यूनियन कार्बाइड का औद्योगिक कचरा 40 साल से वहीं पड़ा है. 3 दिसंबर, 2024 को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 4 सप्ताह में औद्योगिक कचरा भोपाल से डिस्पोजल साइट पर पहुंचाने का आदेश दिया था. इसे लेकर धार जिले के पीथमपुर में कड़ा विरोध हो रहा है.

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