I.N.D.I.A. में कहां-कहां उठ रहे बागी स्‍वर?अखिलेश यादव बनाम कांग्रेस की जंग

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अखिलेश यादव बनाम कांग्रेस की जंग, I.N.D.I.A. में कहां-कहां उठ रहे बागी स्‍वर?

Akhilesh Yadav Said If There Is No Alliance With Congress In MP Elections  Then Not In UP Assembly Also | UP Politics: कांग्रेस से गठबंधन को लेकर अखिलेश  यादव ने कही बड़ी

कांग्रेस की अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन को कई राज्यों में बीजेपी से ज्यादा अपने अंदर से चुनौती मिल रही है. केंद्र में मिलकर लड़ने के लिए जुटे दल राज्यों में बिखरते नजर आ रहे हैं.

केंद्र में नरेंद्र मोदी के विजयी रथ को रोकने के लिए कुछ महीने पहले 28 विपक्षी दलों ने मिलकर I.N.D.I.A गठबंधन की नींव रखी. सभी दलों का मकसद था, 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में मिलकर लड़ना और एनडीए को सत्ता में आने से रोकना. मगर गठबंधन बनने के कुछ दिन बाद से ही इसमें शामिल कुछ दलों के बीच दरार दिख रही है.

इसमें सबसे पहला मामला है अखिलेश यादव और कांग्रेस के बीच तल्खी का. दोनों के बीच लंबे समय से जुबानी जंग चल रही है. गठबंधन में आने के बाद उम्मीद थी कि यह खत्म होगा, लेकिन दोनों के बीच की तकरार जारी है. इसकी एक झलक हाल ही में मध्य प्रदेश में तब दिखी, जब कांग्रेस ने यहां की बिजावर विधानसभा सीट से भी अपने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया, जबकि 2018 के चुनाव में इस सीट पर समाजवादी पार्टी (सपा) के उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी. कांग्रेस प्रत्याशी का नाम देखने के बाद अखिलेश यादव और कांग्रेस के बीच फिर जुबानी जंग शुरू हो गई और इसकी चोट इंडिया गठबंधन तक पहुंची.

दरअसल, मध्य प्रदेश में दोनों दलों के बीच गठबंधन की बात बनते बनते बिगड़ गई. इसके बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए I.N.D.I.A. गठबंधन के बारे में कांग्रेस को तय करना है कि ये गठबंधन राष्ट्रीय स्तर पर होगा या प्रदेश स्तर पर. अगर अभी प्रदेश स्तर पर गठबंधन नहीं हुआ तो भविष्य में भी ऐसा नहीं होगा.” अखिलेश को जवाब देते हिए उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने कहा, “मध्य प्रदेश का वोटर हाथ का पंजा जानता है, साइकिल को नहीं जानता. वहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही चुनावी मुकाबला होता है. उन्होंने कहा कि सपा को तो मध्य प्रदेश में कांग्रेस का समर्थन करना चाहिए.”

ऐसा नहीं है कि I.N.D.I.A गठबंधन में सिर्फ मध्य प्रदेश या यूपी में ही इसके गठबंधन सहयोगियों के बीच टकराहट है. यूपी से बाहर भी कई राज्य ऐसे हैं जहां इनके बीच आपसी सहमति नहीं बन पा रही है.

दिल्ली में चल रही जुबानी जंग

दिल्ली में एक महीने पहले दोनों दलों के नेताओं के बीच जुबानी जंग दिखी थी. इसकी शुरुआत लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर ही हुई थी. अगस्त में दिल्ली के कांग्रेस नेताओं ने लोकसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा के लिए शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठक की थी. इसके बाद कांग्रेस नेता अलका लांबा ने कहा कि कांग्रेस की तीन घंटे से ज्यादा चली बैठक में संगठन की कमियों और लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर चर्चा हुई. हमें सभी सात सीटों पर मजबूती से काम करने का निर्देश दिया गया है. गठबंधन करना है या नहीं, इस पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है, लेकिन हमें सातों सीटों पर तैयारी करने को कहा गया है.

इसके बाद कांग्रेस के दिल्ली मामलों के एआईसीसी प्रभारी दीपक बाबरिया ने बताया कि ‘बैठक आने वाले लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी की रणनीति पर चर्चा के लिए आयोजित की गई थी. इसमें दिल्ली कांग्रेस ने अपना प्रस्ताव रखा कि दिल्ली सरकार की जनविरोधी नीतियों का जमीनी स्तर पर विरोध किया जाएगा. इस पर आम आदमी पार्टी ने विपक्षी गठबंधन INDIA पर ही सवाल उठा दिए थे. इस पर आम आदमी पार्टी ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी थी.

पंजाब में भी कांग्रेस और आप में भारी विरोध

अभी पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है. उसने कांग्रेस को हराकर ही सत्ता हासिल की है. ऐसे में स्थानीय नेता आप के साथ गठबंधन करने के मूड में नहीं हैं. पंजाब में पिछले महीने कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने AAP के साथ आने पर इनकार किया था.

हरियाणा में आप और कांग्रेस के बीच मतभेद

दिल्ली से सटे होने के कारण आप लगातार इस राज्य में एक्टिव है. वह यहां पहले भी चुनाव लड़ चुकी है. पार्टी इस बार भी सभी सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. यहां पार्टी निकाय चुनावों में कुछ सीटें जीत चुकी हैं. ऐसे में यहां भी गठबंधन के बाद सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों के बीच तकरार की स्थिति है. इसके अलावा अभय चौटाला की पार्टी कांग्रेस में आना चाहती है, लेकिन कांग्रेस के लोकल लीडर इसके लिए तैयार नहीं हैं.

दूसरे राज्यों में भी चल रही तकरार

बात राजस्थान की करें तो दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल कई बार राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत पर हमला बोल चुके हैं. यहां भी पार्टी पूरी ताकत से चुनाव लड़ने के मूड में है. गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने पांच सीटें जीती थीं, लेकिन उसने कांग्रेस को काफी नुकसान पहुंचाया था. यहां सीटों के बंटवारे में पेच फंस सकता है.

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