‘मैंने हिंदी फिल्में देखना बंद कर दिया है…’, मेकर्स पर फूटा नसीरुद्दीन शाह का गुस्सा, बॉलीवुड मूवीज में दम न होने का किया दावा
नसीरुद्दीन शाह ने हिंदी फिल्मों के कंटेंट को लेकर बात की है. उन्होंने कहा है कि वे अब हिंदी फिल्में नहीं देखते और मेकर्स एक ही तरह की फिल्में बना रहे हैं.
बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर नसीरुद्दीन शाह ने हिंदी फिल्मों के कंटेंट को लेकर बात की है. उनके मुताबिक हिंदी सिनेमा को 100 साल हो गए हैं लेकिन फिल्म मेकर्स के पास कोई नया आइडिया नहीं है और वे एक ही तरह की फिल्में बना रहे हैं. नसीरुद्दीन ने बताया है कि अब वे हिंदी फिल्में भी नहीं देखते क्योंकि वे उन्हें अब पसंद नहीं हैं.
नई दिल्ली में मीर की दिल्ली, शाहजहानाबाद: द इवॉल्विंग सिटी में बात करते हुए नसीरुद्दीन ने कहा, ‘यह वाकई में मुझे निराश करता है कि हम यह कहने में गर्व महसूस करते हैं कि हिंदी सिनेमा 100 साल पुराना है लेकिन हम एक जैसी ही फिल्में बना रहे हैं. मैंने हिंदी फिल्में देखना बंद कर दिया है, मुझे वे बिल्कुल पसंद नहीं हैं.’
हिंदी फिल्मों में क्या दम है?
नसीरुद्दीन ने आगे कहा, ‘हिंदुस्तानी खाना हर जगह पसंद किया जाता है क्योंकि इसमें दम है. हिंदी फिल्मों में क्या दम है? हां, उन्हें हर जगह देखा जा रहा है. वे कहते हैं कि कितना विदेशी, कितना भारतीय, कितना रंगीन. लेकिन जल्द ही वे इससे ऊब जाएंगे क्योंकि इसमें कोई दम नहीं है.’
कैसे तरक्की करेंगी हिंदी फिल्में?
नसीरुद्दीन शाह ने आगे कहा कि समाज की सच्चाई को दिखाना, सीरियस फिल्म मेकर्स की जिम्मेदारी है. एक्टर के मुताबिक हिंदी सिनेमा तभी तरक्की कर सकता है जब इसे पैसा कमाने का जरिया समझना बंद कर दिया जाए. नसीरुद्दीन कहते हैं, ‘लेकिन मुझे लगता है कि अब बहुत देर हो चुकी है. अब कोई हल नहीं है क्योंकि जिन फिल्मों को हजारों लोग देखते हैं वे बनती रहेंगी और लोग उन्हें देखते रहेंगे, भगवान जाने कब तक.’
नसीरुद्दीन ने नसीहत देते हुए कहा कि जो लोग गंभीर फिल्में बनाना चाहते हैं, यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे आज की हकीकत दिखाएं और इस तरह से दिखाएं कि उन्हें फतवा न मिले या ईडी उनके दरवाजे पर दस्तक न दे.