लोकसभा चुनावों को ले भाजपा पिछले आठ माह से जमीन पर कांग्रेस और आप अभी जमीन से कोसों दूर

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लोकसभा चुनावों को ले भाजपा पिछले आठ माह से जमीन पर कांग्रेस और आप अभी जमीन से कोसों दूर
लोकसभा चुनावों को ले भाजपा पिछले आठ माह से जमीन पर कांग्रेस और आप अभी जमीन से कोसों दूर

लोकसभा चुनावों को ले भाजपा पिछले आठ माह से जमीन पर कांग्रेस और आप अभी जमीन से कोसों दूर

-अश्वनी भारद्वाज –

नई दिल्ली ,भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा चुनावों में टक्कर देने के लिए कांग्रेस सहित विपक्षी दलों नें गठबंधन का नामकरण जरूर कर दिया है लेकिन चुनावी तैयारी दूर-दूर तक शुरू नहीं की है | जहां तक राजधानी दिल्ली की बात है अभी यह भी तय नहीं है कि विपक्ष के दोनों प्रमुख दल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच सीटों का बंटवारा कौन से फार्मूले के तहत होगा | पिछले लोकसभा चुनाव परिणाम को लेकर या विधानसभा चुनाव परिणामों को लेकर या फिर इन दोनों के बीच का कोई रास्ता निकाला जाएगा | उम्मीद बीच के रास्ते की ज्यादा है क्योंकि यदि लोकसभा परिणाम को आधार माना जाता है तो कांग्रेस पिछले लोक सभा चुनावों में पांच सीटों पर दूसरे नम्बर पर रही थी और आम आदमी पार्टी दो सीटों पर और यदि विधानसभा चुनाव परिणामों की बात करें तो कांग्रेस के खाते में कुछ भी नहीं आया था | ऐसे में दोनों के बीचका रास्ता ही निकलेगा यानी तीन और चार पर बात बनेगी | तीन कौन और चार कौन इस पर भी लंबी मन्त्रणा होगी |

 

जहां तक चुनावी तैयारी का सवाल है इसमें कोई दो राय नहीं भाजपा के पास ब्रांड मोदी है तो विपक्ष के पास दिल्ली में ब्रांड अरविन्द केजरीवाल है और धीरे धीरे राहुल गांधी भी टक्कर में आ रहे हैं | लेकिन जहां तक संगठन की तैयारियों का सवाल है भाजपा इस काम में पिछले आठ माह से जुटी है भाजपा
के संगठन मंत्री हर जिले के साथ-साथ तकरीबन सभी विधानसभाओं में प्रवास कर चुके हैं | सभी सांसद भले ही उन्हें टिकिट मिले या नहीं मिले जमीनी स्तर पर जुटे हैं कार्यकर्ताओं के साथ टिफिन बैठक यानी सामूहिक भोज कार्यक्रम आयोजित कर चुके हैं | बूथ स्तर पर प्रधानमन्त्री के मन की बात कार्यक्रम
का आयोजन कई बार हो चुका है | स्वतन्त्रता दिवस पर सभी विधानसभा क्षेत्रों में तिरंगा यात्राओं का आयोजन किया जा रहा है | इसके अलावा भी सन्गठन मंडल स्तर पर कार्यक्रम करता रहता है ,बूथ मैनेजमेंट पर अलग से टीम काम कर रही है | पार्टी के सर्वे और अमित शाह के सर्वे अलग से हो रहे
हैं | कुल मिलाकर भाजपा अपनी मिशन में जुटी है प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा जमीनी नेता हैं कहते हैं पिछले लोकसभा चुनाव हम दोनों पार्टियों के मत मिलान से भी कई कई लाख अन्तराल से जीते थे और इस बार हमारा टारगेट साठ फीसदी वोट लेने का है | वहीं कांग्रेस की अभी तक ना तो प्रदेश की टीम बनी है और ना ही आधे से ज्यादा ब्लाक कमेटियां बनी है | अभी कई स्थानों पर तो ब्लाक अध्यक्ष तक नहीं बनाये गए हैं बूथ मैनेजमेंट की बात तो कोसो दूर हैं |

हालांकि दिल्ली कांग्रेस के नये प्रभारी दीपक बाबरिया सन्गठन को सेक्टर स्तर पर ले जाना चाहते हैं और उन्होंने बीस अगस्त तक एक विधानसभा के तहत आठ मंडल अध्यक्ष बनाने की प्रक्रिया शुरू कर रखी है लेकिन इसमें उन्हें कामयाबी मिल पाएगी सम्भावना नहीं के बराबर है |क्योंकि बूथ लेवल पर कमेटी गठित करने की योजना कांग्रेस की बीस साल पुरानी है जो किसी भी विधानसभा में आज तक नहीं बन पाई है | हालांकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी काफी सक्रिय है लेकिन उनकी सक्रियता केवल पूर्व विधायकों तक सीमित है जिनमे से ज्यादातर उन्हें किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करते | ब्रांड अरविन्द केजरीवाल के नाम पर आप आदमी का वोटर तो खूब है लेकिन सन्गठन के नाम पर वे कांग्रेस से भी बदतर हाल में है | आम आदमी पार्टी जिला स्तर पर तो सन्गठन बना चुकी है लेकिन विधानसभा स्तर पर अभी साक्षात्कार ही चल रहे हैं | प्रदेश संयोजक गोपाल राय कहते हैं हम पूरी तरह से तैयार है हमारा बूथ मैनेजमेंट मजबूत है | हमारे वोटर ही हमारा बूथ सम्भालते हैं कार्यकर्ता तो केवल सहयोग और निगरानी करते है |

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