शिक्षाविद डॉ.के.एस.भारद्वाज लिख चुके हैं अब तक 40 पुस्तकें
पाठक तय करता है कि उसे क्या पढ़ना है
– हर्ष भारद्वाज –
नई दिल्ली ,शिक्षाविदद्वय सुपुत्र डॉ. के.एस. भारद्वाज ऐसे लेखक एवं शिक्षाविद है जो एकांत-साधक है. चकाचोंध की दुनिया से दूर इस चिंतक ने अब तक 40 पुस्तकें लिख डाली हैं जिनमें उपन्यास, नाटक, कहानियाँ, काव्य, शैक्षिक एवं सामाजिक पुस्तकें हैं. डॉ.भारद्वाज का कहना है कि वे अपने आत्मिक आनंद हेतु लिखते हैं और हर पाठक की साहित्यिक रुचि व्यक्तिपरक होती है. अत: पाठक तय करता है कि उसे क्या पढ़ना है? उनकी कुछ उल्लेखनीय और प्रशंसित कृतियों में “शाश्वत प्रेम,” “पृष्ठांगन में प्रणय उपवन” “चुप कर, अभी नहीं” “बस, और अहिल्या नहीं” “इश्क-ए-जिंदगी” “चम्बल का शिक्षित बगावती” “लव बियॉन्ड होराइजन्स” “द बटरफ्लाई इन हर इज डेड” “रीबॉर्न फॉर परपेचुअल लव” “तहजीब रक्षक वे कोठेवालियाँ आदि शामिल हैं।

गूगल ने डॉ. के.एस. भारद्वाज के उपन्यासों के बारे में कुछ जानकारी यूँ दी है: “प्रेम क्षितिज से परे”: एवरांड के अनुसार, यह उपन्यास महिलाओं के सेक्स मनोविज्ञान की खोज के लिए प्रसिद्ध है । “उसके अन्दर की तितली मर चुकी है”: इसे कोमल नामक एक महिला की आत्मकथात्मक कहानी बताया गया है जो प्रेम, विश्वासघात का अनुभव करती है और अंततः एक अलग तरह का प्रेम और शांति पाती है। “सदाबहार प्रेम के लिए पुनर्जन्म” : यह उपन्यास पुनर्जन्म और शाश्वत प्रेम की अवधारणा पर आधारित है, जिसमें दो प्रेमियों की कहानी है जो अपने पिछले जीवन में अलग हो गए थे और अपने वर्तमान जीवन में फिर से मिलना चाहते हैं. “अनसुने शहीद तवायफ़” “चुप कर अभी नहीं.” आपके साहित्यिक ग्रन्थ हैं.

द अनसंग शहीद तवायफें, बटरफ्लाई इन हर इज डेड, रोमांस इन कोरोना, लव बियोंड होराइजंस, लव आर्चर्ड इन द बैकयार्ड, रिबोर्न फार परपेचुअल लव. ऑटोबाईग्राफी ऑफ राजकुमारी रूपमति, पार्श्वाग्न में प्रणय उपवन, शाश्वत प्रेम, चंबल का शिक्षित बगावती, चुप कर, अभी नहीं, इश्क-ए-जिंदगी, बस, और अहिल्या नहीं, डांस आफ डेस्टिनी, (सभी उपन्यास) समय के हस्ताक्षर. (कविता), प्रारब्ध. (कहानी), वीरांगना झलकारी बाई. (नाटक), वे तहजीब रक्षक कोठेवालियाँ, राजकुमारी रूपमती की आत्मकथा, भारत जोड़ो यात्र–एक समीक्षा, 1857, वीमेन वारिर्स आफ झाँसी (नाटक), 1857, झांसी की वीरांगनाएं (नाटक) झलकारी बाई (नाटक) शैक्षिक पुस्तक है ह्यूमर इन क्लासरूम, न्यू डाईमेंशंस आफ वेल्यू एजुकेशन, ह्यूमर इन हेप्पीनेस करिकुलम, ह्यूमन रिसोर्स डवलपमेंट इन एजुकेशन, इंस्टीच्युशनल ट्रेनिंग एंड डवलपमेंट, सूक्ष्म शिक्षण: चिन्तन एवं उपयोग, शिक्षण क्षेत्रीय मानव संसाधन विकास (भारत सरकार स्वीकृत), मेनेजमेंट आफ नर्सरी एजुकेशन, सोसाइटी, डू वी नो वाट सोसाईटी इज? नैतिक अपकर्ष: कारण एवं निदान (भारत सरकार स्वीकृत), राह से भटकता नारी पुरुष विमर्श, शिक्षण क्षेत्रीय हास परिहास, सूक्ष्म शिक्षण के चमत्कार, वीमेन काउंसेलिंग डीरेल्ड, नाट इजी टू हेड ए कालिज. डॉ.भारद्वाज के दो उपन्यास इसी महीने आ रहे हैं. वे हैं “1947, कुछ कही, कुछ अनकही, मगर मरना मना है” और “तितली का पुनर्जन्म.”



