स्वास्थ्य मंत्री के निर्देशों को ठेंगा दिखा रहे बस्ती जिला अस्पताल के डॉक्टर्स, लिख रहे बाहर की महंगी दवा

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स्वास्थ्य मंत्री के निर्देशों को ठेंगा दिखा रहे बस्ती जिला अस्पताल के डॉक्टर्स, लिख रहे बाहर की महंगी दवा
स्वास्थ्य मंत्री के निर्देशों को ठेंगा दिखा रहे बस्ती जिला अस्पताल के डॉक्टर्स, लिख रहे बाहर की महंगी दवा

स्वास्थ्य मंत्री के निर्देशों को ठेंगा दिखा रहे बस्ती जिला अस्पताल के डॉक्टर्स, लिख रहे बाहर की महंगी दवा

बस्ती जिला अस्पताल के डॉक्टर कमीशन के लिए मरीजों को बाहर से धड़ा धड़ दवाएं लिख रहे हैं. जबकि डिप्टी सीएम बृजेश पाठक का आदेश है कि डॉक्टर को बाहर की दवाई नहीं लिखनी है.

बस्ती जिला अस्पताल के डॉक्टर मरीजों को बाहर की दवाएं लिख रहे हैं. पड़ताल में आज खुलासा हुआ है, जहां स्किन, बाल रोग समेत नॉर्मल फिजिशियन के डॉक्टर धड़ल्ले से अस्पताल औषधि की दवाएं कम बाहर की दवाएं जायदा लिख रहे हैं. बस्ती एसआईसीवी के सोनकर  संज्ञान लेते हुए चेतावनी लेटर जारी कर दिया है.

बस्ती जिला अस्पताल में एबीपी न्यूज़ पड़ताल करने पहुंचा था कि दूर दराज से आए मरीज को क्या सच में औषधि केंद्र से दवाई मिल रही है या फिर बाहर से दवाई लेनी पड़ रही है. लेकिन पड़ताल में मिला कि मौजूद डॉक्टर मरीज को देखते तो हैं, लेकिन कमीशन के चक्कर में ये डॉक्टर मरीजों को बाहर की दवाएं लिख कर दे रहे हैं. जिसे दूर दराज से आय मरीजों को मजबूरन उन दवाओं को लेना ही पड़ता है.

डिप्टी सीएम के आदेश के बावजूद बाहर की दवा लिख रहे डॉक्टर 

दरअसल सूबे के स्वास्थ्य मंत्री और डिप्टी सीएम बृजेश पाठक की ओर से प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों को यह निर्देश जारी किया गया है कि बाहर से दवाएं न लिखें. प्रदेश में मरीजों के लिए दवाओं के कोई कमी नहीं हैं, लेकिन इसके बावजूद भी जिला अस्पताल के डॉक्टर डिप्टी सीएम के निर्देश को ठेंगे पर रखते हैं. कमीशन के लिए बाहर से धड़ा धड़ दवाएं लिख रहे हैं. उन्हें न तो डिप्टी सीएम के निर्देश की कोई फिक्र है और न ही गरीब मरीजों की जेब पर दवाओं की खरीदारी करते समय पड़ने वाले बोझ के असर की है.

जिला अस्पताल की पड़ताल की तो चौकाने वाला नजारा सामने आया. ओपीडी में बैठ मरीजों की देखने वाले ज्यादातर डॉक्टर बाहर की दवाएं लिखते हुए पाए गए. मरीजों से जब इसे लेकर बात की गई तो उन्होने कहा कि कुछ दवाएं अस्पातल से लिखी गई हैं, तो कुछ दवाएं बाहर से, लेकिन जिम्मेदार बाहर से लिखी जा रही दवाओं को लेकर गंभीर नहीं हैं. अस्पताल परिसर में दलालों का झुंड डॉक्टर के आसपास घूमता रहता है. डॉक्टर मरीज को देखने के समय मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव(MR) का भी डॉक्टर के चैंबर में ज्यादातर देखने को मिला है.

डॉक्टरों ने कही ये बात

ओपीडी में बैठे डॉक्टर को दिखा कर बाहर निकलने वाले मरीजों से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि आठ सौ रूपए से 12 सौ रूपए तक की दवाएं बाहर से लिखी जा रही हैं. स्किन के डॉक्टर को दिखाकर बाहर निकले लालजी यादव से जब बात की गई तो उन्होंने बताए कि उन्होने पांच सौ रूपए की दवा बाहर से खरीदी है. कहते हैं कि डॉक्टर ने कहा है कि बाहर से दवा ले लो जल्दी ठीक हो जाओगे. वहीं रमेश कुमार से जब बात की गई तो उन्होने बताया कि फिजिशियन को उन्होने दिखाया है. दवा बाहर से लिखी गई है. इसी तरह अन्य मरीजों ने बाहर से दवा लिखे जाने की बात कही.

पड़ताल का एसआईसी डॉक्टर वी के सोनकर ने संज्ञान लिया और बताया कि बाहर की दवाएं बिल्कुल नहीं लिखी जानी चाहिए. मीटिंग में समय-समय डॉक्टरों को हम चेतावनी देते रहते हैं कि आप लोगों की तरफ से कोई भी दवाई बाहर से न लिखी जाए. सभी दवाएं यहीं से लिखें. यदि कोई दवाई यहां उपलब्ध नहीं है तो जन औषधि केंद्र से दवा लिखी जानी चाहिए. अगर कोई इस तरह से आज्ञा की अवहेलना कर रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

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