जस्टिस चंद्रचूड़ बने 50वें CJI,राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ

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सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ भारत के 50वें प्रधान न्यायाधीश बन गए हैं। चंद्रचूड़ को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने पद की शपथ दिलाई। आपको बता दें, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर, 2024 तक इस पद पर रहेंगे। उन्होंने सीजेआई यूयू ललित की जगह ली है, जो आज सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इससे पहले छह नवंबर को सीजेआई यूयू ललित को औपचारिक सेरेमोनियल बेंच गठित कर विदाई दी गई थी। शपथ ग्रहण के बाद सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, देश की सेवा करना मेरी प्राथमिकता है। हम भारत के सभी नागरिकों के हितों की रक्षा करेंगे। चाहे वह तकनीक हो, रजिस्ट्री सुधार हो या न्यायिक सुधारों के मामले में हों। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ कई महत्वपूर्ण फैसले दे चुके हैं। इसमें अविवाहित या अकेली गर्भवती महिलाओं को 24 सप्ताह तक गर्भपात करने से रोकने के कानून को रद्द करना शामिल है। वह कई ऐसी पीठ का भी हिस्सा रहे हैं जिसके कई महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं। इनमें IPC की धारा 377 से बाहर करने, अयोध्या में जन्मभूमि का मामला, सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश जैसे फैसले शामिल हैं।

जानकारी के लिए आपको बता दे की धनंजय वाई. चंद्रचूड़ के पिता लगभग सात साल और चार महीने तक भारत के मुख्य न्यायधीश रहे थे, जो शीर्ष अदालत के इतिहास में किसी CJI का सबसे लंबा कार्यकाल रहा है। वह 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक मुख्य न्यायाधीश रहे। यह पहली बार होगा जब पिता के बाद बेटा भी भारत का मुख्य न्यायधीश बनेगा। अब पिता की विरासत को संभालने के लिए न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चंद्रचूड़ भी उनके ही नक्शे कदमों पर चल रहे हैं। चंद्रचूड़ अपने कई ऐतिहासिक फैसलों को लेकर चर्चा में रहे हैं। बता दें कि देश के 50वें मुख्य न्यायधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ बड़े ही धैर्य से मामलों की सुनवाई करते हैं। कुछ दिन पहले ही जस्टिस चंद्रचूड़ ने लगातार दस घंटे तक सुनवाई की थी। सुनवाई पूरी करते हुए उन्होंने कहा भी था कि कर्म ही पूजा है। कानून और न्याय प्रणाली की अलग समझ की वजह से जस्टिस चंद्रचूड़ ने दो बार अपने पिता पूर्व चीफ जस्टिस यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ के फैसलों को भी पलटा है।

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