Uttarakhand Rain Disaster: उत्तराखंड में बारिश से तबाही: दो वायुसेना जवान डूबे, भूस्खलन में 9 लापता, चारधाम यात्रा पर संकट

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Uttarakhand Rain Disaster: उत्तराखंड में बारिश से तबाही: दो वायुसेना जवान डूबे, भूस्खलन में 9 लापता, चारधाम यात्रा पर संकट

उत्तराखंड में भारी बारिश ने कहर बरपा दिया है। तेज वर्षा के चलते कई जिलों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। प्राकृतिक आपदाओं की इस श्रृंखला में भीमताल की एक झील में डूबने से भारतीय वायुसेना के दो जवानों की मौत हो गई, जबकि सोनप्रयाग और गौरीकुंड के बीच भूस्खलन के कारण कम से कम 9 लोग लापता हो गए हैं। भूस्खलन की वजह से केदारनाथ की यात्रा भी प्रभावित हो गई है। राज्य में 100 से अधिक सड़कें बंद हो चुकी हैं और चारधाम यात्रा पर संकट गहराता जा रहा है।

भीमताल के क्षेत्राधिकारी प्रमोद शाह के अनुसार, डूबे हुए जवानों की पहचान प्रिंस यादव (22) निवासी पठानकोट, पंजाब और साहिल कुमार (23) निवासी मुजफ्फरपुर, बिहार के रूप में हुई है। ये दोनों जवान भारतीय वायुसेना के उस आठ सदस्यीय दल का हिस्सा थे, जो चार महिला कर्मियों समेत छुट्टियां बिताने नैनीताल आया था। झील में डूबने की खबर मिलते ही स्थानीय लोग और पुलिस तुरंत मौके पर पहुंचे और संयुक्त रूप से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। करीब एक घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद दोनों शव झील से बाहर निकाले जा सके।

इसी बीच, केदारनाथ यात्रा मार्ग पर सोनप्रयाग और गौरीकुंड के बीच भूस्खलन हुआ है। इस कारण से आवाजाही पूरी तरह बंद हो गई है और 9 लोग लापता बताए जा रहे हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है, लेकिन लगातार बारिश के कारण राहत कार्यों में बाधा आ रही है। यमुनोत्री जाने वाले सिलाई मोड़ क्षेत्र में निर्माण श्रमिकों के आश्रय स्थल भारी भूस्खलन की चपेट में आ गए, जिससे वहां भी संकट की स्थिति बन गई है। यमुनोत्री हाईवे का 12 मीटर हिस्सा बह गया है।

गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से टेलीफोन पर बात कर राज्य के संवेदनशील क्षेत्रों, विशेषकर केदारनाथ धाम की स्थिति का जायजा लिया है। मुख्यमंत्री धामी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर जानकारी दी कि केंद्र सरकार ने एनडीआरएफ और आईटीबीपी को आपात स्थिति के लिए तत्पर रखा है। साथ ही प्रभावित जिलों में हरसंभव मदद का आश्वासन भी दिया गया है।

राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, फिलहाल राज्य में 109 सड़कें भारी बारिश के चलते अवरुद्ध हैं। बद्रीनाथ हाईवे भी चट्टानें गिरने के कारण बंद है। गंगा, अलकनंदा, नंदाकिनी, पिंडर, भागीरथी, काली, गोरी और सरयू नदियां खतरे के निशान के करीब पहुंच चुकी हैं।

उत्तरकाशी के बड़कोट क्षेत्र में यमुना नदी के किनारे बनी झील का पानी अब निचले इलाकों में बसे घरों और होटलों में घुसना शुरू हो गया है। प्रशासन ने लाउडस्पीकर के जरिए चेतावनी जारी की है। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता महावीर पंवार ‘माही’ ने प्रशासन से अपील की है कि वह तत्काल राहत सामग्री और आवश्यक वस्तुएं प्रभावित गांवों तक पहुंचाने की व्यवस्था करे।

उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश ने सरकार और आपदा प्रबंधन तंत्र की तैयारियों की गंभीर परीक्षा ले ली है। हालात गंभीर होते जा रहे हैं और जान-माल के नुकसान को टालने के लिए अब हर पल की योजना और प्रतिक्रिया बेहद अहम हो गई है।

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