Ayodhya Ram Temple: राम मंदिर के शिखर पर धर्मध्वजा फहराई, पीएम मोदी ने की प्रार्थना, अविस्मरणीय क्षणों की साक्षी बनी अयोध्या
अयोध्या की पवित्र नगरी ने आज एक ऐसे ऐतिहासिक और आध्यात्मिक क्षण का स्वागत किया, जिसे आने वाली पीढ़ियां गर्व से याद करेंगी. श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के भव्य शिखर पर धर्म ध्वजा का फहराया जाना न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान था, बल्कि यह भारत की सनातन आस्था, सांस्कृतिक धरोहर और शाश्वत परंपराओं के पुनर्जागरण का प्रतीक बन गया. अभिजीत मुहूर्त में वैदिक मंत्रोच्चार की पवित्र ध्वनि के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाथ जोड़कर परम भक्तिभाव से भगवान श्रीराम को नमन किया.
इस अनुष्ठान के दौरान वातावरण में ऐसी पवित्रता और ऊर्जा व्याप्त थी कि पूरा शहर दिव्यता में डूबता चला गया. लगभग 22 फीट लंबी और 11 फीट चौड़ी यह विशेष ध्वजा अत्यंत सावधानी के साथ निर्मित की गई है. ध्वज पर कोविदार वृक्ष का चिन्ह, सूर्यवंश का पवित्र प्रतीक और ‘ॐ’ का दिव्य अक्षर अंकित है, जो इसे अत्यंत पवित्र और शुभ बनाता है. परंपरा और आधुनिक तकनीक के संगम को दर्शाते हुए इसे इलेक्ट्रिक सिस्टम की सहायता से शिखर पर आरोहित किया गया. जैसे ही धर्म ध्वजा शिखर पर लहराई, रामनगरी जयघोषों से गूंज उठी. “जय श्रीराम” और “सियाराम” के नारे पूरे शहर में प्रतिध्वनित होने लगे. मंदिर के आसपास का क्षेत्र, प्रमुख मार्ग और घाट हजारों श्रद्धालुओं से भर गए थे, जो इस दिव्य पल के साक्षी बनने के लिए विभिन्न राज्यों से अयोध्या पहुंचे थे.
सात प्रमुख सांस्कृतिक मंचों पर चल रहे नृत्य, भजन, लोक कलाओं और रामायण से जुड़े प्रस्तुतियों ने पूरे शहर को उत्सवमय बना दिया. दीपों, फूलों और रामधुनों से सजे मार्ग एक आध्यात्मिक यात्रा जैसा अनुभव करा रहे थे. प्रशासन की ओर से सुरक्षा के अभूतपूर्व और बहु-स्तरीय इंतजाम किए गए थे. ड्रोन सर्विलेंस, अतिरिक्त पुलिस बल और विशेष सुरक्षा इकाइयों की तैनाती के चलते पूरा कार्यक्रम शांतिपूर्ण और अत्यंत व्यवस्थित तरीके से आयोजित हुआ. यह ध्वजारोहण न केवल मंदिर की पूर्णता का प्रतीक है, बल्कि करोड़ों भक्तों के वर्षों के इंतजार, आस्था, संघर्ष और सपनों की परिणति भी है. अयोध्या ने आज एक बार फिर यह प्रमाणित कर दिया कि वह केवल एक शहर नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक आत्मा का केंद्र है.



