हरियाणा के परिणाम से दिल्ली भाजपा कार्यकर्ताओं में भरा जोश

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हरियाणा के परिणाम
हरियाणा के परिणाम से दिल्ली भाजपा कार्यकर्ताओं में भरा जोश

हरियाणा के परिणाम से दिल्ली भाजपा कार्यकर्ताओं में भरा जोश

* उम्मीद के खिलाफ परिणामों से कांग्रेस में ख़ामोशी

– अश्वनी भारद्वाज –

नई दिल्ली ,लगभग 27 साल से दिल्ली की सत्ता से बेदखल भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं से ले नेताओं तक में हरियाणा चुनाव परिणामों नें एक नया जोश भर दिया है | भाजपा नें न केवल जीत दर्ज की है बल्कि अपने पिछले सभी रिकॉर्ड ध्वस्त करते हुए प्रदेश में जीत की हैट्रिक जड़ी है | ऐसी उम्मीद ना तो राजनीतक पंडितों को थी और ना ही सियासी दलों को | एक दशक की एंटी क्म्बेंसी दूर-दूर तक देखने को नहीं मिली | तमाम कयासों को तोड़ते हुए जिस
तरह से भाजपा नें यह कीर्तिमान बनाया कुछ माह पूर्व हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा को जख्म मिले थे इन परिणामों नें उन पर मरहम लगाने का काम किया है | इसे जमीनी स्तर पर भाजपा की तैयारी और कुशल रणनीति ही माना जाएगा | अन्यथा कोई भी यह मानने को तैयार नहीं था कि हरियाणा में भाजपा वापसी करेगी | इसमें कोई दो राय नहीं जहां दो से अधिक दल चुनाव लड़ते हैं भाजपा फायदे में ही रहती है |

यह बात अलग है कि दिल्ली अभी तक इससे से अछूती रही है लेकिन इन परिणामों नें दिल्ली भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं में नई जान फूंक दी है | और भाजपा दिल्ली की तैयारी में जुट गई है ,वहीं कांग्रेस जिसे यह उम्मीद थी पड़ोसी राज्य में सत्ता इस बार उनके खाते में रहेगी उन्हें भारी मायूसी हाथ लगी है | इसे भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की हठधर्मी माना जाए या पार्टी हाईकमान की विवशता कि अनुकूल माहौल के बावजूद पार्टी बेहतर नहीं कर सकी | शैलजा को महत्वहीन करना भी पार्टी को निश्चित रूप से भारी पड़ा ,अंतिम समय में अशोक तंवर की वापसी भी पार्टी के लिए घाटे का सौदा रही | पार्टी की इन नीतियों से हरियाणा तो हाथ से गया ही दिल्ली भी कोसों दूर हो गई | यदि कांग्रेस हरियाणा जीत लेती तो दिल्ली के कार्यकर्ताओं का जोश दस गुना बढ़ जाता लेकिन ऐसा नहीं हो पाना पार्टी के लिए नुक्सान ही रहा | और जैसा कि उम्मीद थी आने वाले विधानसभा चुनावों में दिल्ली में ट्रेंगल फाईट हो जायेगी वो सपने भी चकनाचूर हो गए और गेंद भाजपा के पाले में चली गई | दिल्ली की सियासी पिच पर जहां अरविन्द केजरीवाल जैसे मंजे हुए खिलाडी है उनसे निपटना कांग्रेस के बूते से बाहर होता जा रहा है | और बिना कांग्रेस के मजबूत हुए भाजपा के लिए भी केजरीवाल से निपटना कोई आसान काम नहीं है | आज बस इतना ही …

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