कांग्रेस की सूची : खोदा पहाड़ निकली चुहिया, गठ्बन्धन नें किया आधी आबादी से किनारा
विवादित नामों पर मुहर लगा लगाई गले खुद आफत
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली , खुदाई तो पहाड़ की कर डाली लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात | समझ गए ना आप हमारा इशारा कांग्रेस की तीन प्रत्याशियों की घोषणा की ओर है जिनके चयन को ले हुई लंबी कवायद के बाद आज जो घोषणा की गई उससे ना केवल दिल्ली कांग्रेस के कार्यकर्ताओ का मनोबल टूटा है बल्कि गठ्बन्धन में कांग्रेस की भागीदार आम आदमी पार्टी का विश्वास भी डगमगा गया है | दरअसल कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं को पार्टी हाईकमान से उम्मीद थी कि पार्टी दिल्ली के जमीनी तथा लोकप्रिय नेताओं को मैदान में उतारेगी और शायद इसीलिए ही प्रत्याशी घोषित करने में देरी हो रही थी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ |
जय प्रकाश अग्रवाल को जरुर जमीनी तथा अनुभवी माना जा सकता है लेकिन अन्य दो कमजोर प्रत्याशियों की घोषणा से ना केवल कांग्रेस अपितु आम आदमी पार्टी के ग्राफ पर भी ग्रहण लगने की सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता | आम आदमी पार्टी नें शायद यह सोचा था कांग्रेस एक महिला को जरुर चुनावी मैदान में उतारेगी लेकिन कांग्रेस नें भी ऐसा नहीं किया और आम आदमी पार्टी नें किसी महिला को प्रत्याशी बनाया ही नहीं था | ऐसे में गठ्बन्धन नें आधी आबादी से तो पहले ही किनारा कर लिया | और भाजपा को यह मुद्दा दे दिया की गठ्बन्धन महिलाओं की सत्ता में भागेदारी की बात केवल घोषणाओं में ही करता है | इस्सी तरह तमाम शिकायतों को नजरंदाज कर उदित राज को प्रत्याशी बनाया गया उनके विवादित ट्वीट चुनावी मुद्दा बनेगें | रही बात कन्हैया बाबू की आप खुद देख लेना कल से ही भाजपा की कम्पैन जब देश भर में नारे गूंजेगे और ना केवल दिल्ली अपितु पूरे उत्तर भारत में यह मुद्दा बनने की सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता | वोट लेने के लिए स्व.मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नाम का इस्तेमाल करती रही पार्टी टिकट देने के नाम पर उनके पुत्र संदीप दीक्षित से भी किनारा कर गई |
ऐसा नहीं है कि कांग्रेस के पास उत्तर पूर्वी दिल्ली में अनुभवी नेताओं की कमी थी प्रदेश अध्यक्ष अरविन्द्र सिंह लवली, संदीप दीक्षित ,पूर्व अध्यक्ष अनिल चौधरी ,मतीन अहमद,भीष्म शर्मा सहित कई मजबूत नाम पार्टी के पास थे जिनके लिए पार्टी वर्कर तन मन धन से जुटते और इसी तरह से उत्तर पश्चिमी दिल्ली से राज कुमार चौहान ,कृष्णा तीर्थ ,सुरेन्द्र कुमार ,जयकिशन जैसे नाम थे लेकिन पार्टी के रणनीतिकारों ने खुद ही अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारी तो इसमें कोई क्या कर सकता है | रही बात कार्यकर्ताओं की उनका उत्साह तो गायब हो गया बुझे मन से कोई काम करे तो करे | आज बस इतना ही …