नहले पर दहले की जरूरत महसूस कर रही है भाजपा

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नहले पर दहले की जरूरत महसूस कर रही है भाजपा

नहले पर दहले की जरूरत महसूस कर रही है भाजपा

* रैली में मोदी कर सकते हैं बड़ी घोषणा

– अश्वनी भारद्वाज –

नई दिल्ली ,जी हाँ हम बिलकुल सही कह रहे हैं पुरानी कहावत है नहले पर दहला .और ताश के शौक़ीन तो अच्छे से जानते ही है नहले की काट दहला ही होती है और दहले की काट तुरुप का पत्ता | बचपन में हमने भी खूब ताश खेले हैं लिहाजा थोडा बहुत ज्ञान हमें भी है नहले पर दहले और तुरुप का | आप भी सोच
रहे होंगे आज पंडित जी क्या ताश- वाश के चक्कर में पड़ गए हां भाई इस 2100 के चक्कर में पूरी दिल्ली पड़ी हुई है | और तो और हमारी पंडतानी भी आज तडके कहने लगी पूरे शहर नें फार्म भर दिया एक तुम हो जो हमें बता कर भी राजी नहीं ये फ़ार्म कहाँ भरा जाएगा |

आज से तुम्हारी चाय बंद , कल भूरी की बहु के साथ जाकर देखती हूँ ,हमने कहा भागवान ऐसा कुछ नहीं है यह केवल चुनावी जुमला है ,चुनावी मौसम में ये सब होता ही रहता है ,इतनी देर में हमारे एक जानकार जो कई साल से मेरठ रहते हैं का फोन आया पूछने लगे पंडित जी हमारा वोट तो अभी दिल्ली का ही है क्या 2100 का फार्म भरा जाएगा | अब हमारी समझ में आया 2100 ने तो शहर में ही जादू कर डाला है | अब आप ही समझिये जो भाजपा 26 साल बाद सत्ता के सपने संजोये है वह नहले पर दहला नहीं चलाएगी ,चलाएगी जनाब जरुर चलाएगी ,आप देखते रहिये हमने कल ही कहा था कुछ बड़ा होगा 2100 की काट 3100 ,हो गया ना नहले पर दहला ,जब एक पूर्व मुख्यमंत्री के आह्वान पर 2100 के लिए दिल्ली में भूचाल आ गया तो प्रधानमन्त्री के 3100 के आह्वान पर क्या होगा और उस सूरत में पुराने फार्मों को भरने वाले उससे भी ज्यादा तादाद में नये फार्म भरेगें इसम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता | यह तो रहा नहले पर दहला और जरूरत महसूस हुई तो तुरुप तो क्या तुरुप का ईक्का भी चला जाएगा जिसकी कोई काट नहीं होती | जहां तक कांग्रेस का सवाल है उसने भी लम्बे समय तक तुरुप और इक्कों का इस्तेमाल किया है और आज भी कम सही लेकिन उनके तरकश में भी कुछ तीर बाकी है लिहाजा चूकने वाली कांग्रेस भी नहीं | आज बस इतना ही …

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