भाजपा की पहली सूची से तो चुनौती मिलती दिख नहीं रही आप को
* बाकी भी ऐसी रही तो जय श्री राम
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली ,लंबी जद्दोजहद, गंभीर मन्त्रणा तथा इन्तजार के बाद आखिर शनिवार को भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए प्रत्याशियों की सूची जारी हुई | आम आदमी पार्टी करीब डेढ़ माह पहले और कांग्रेस भी एक माह पहले अपनी पहली लिस्ट जारी कर चुकी थी | लगातार होती देरी के चलते लोगो के दिमाग में तरह तरह की चर्चाएँ चल रही थी हम भी सोच रहे थे शायद भाजपा कुछ अप्रत्याशित करने जा रही है ,हमें तो किसी बड़े चमत्कार की उम्मीद थी | पहले जनता के सर्वे एक नहीं दो-दो, बाद में रायशुमारी , सांसदों ,जिलाध्यक्षों ,संघ के लोगो की राय के बाद कोर कमेटी और न जाने कौन-कोन से प्लेटफार्म से होते हुए जो लिस्ट जंगे मैदान में उतारी गई उसका जब हमने बारीकी से अध्ययन किया तो पाया खोदा पहाड़ निकली चुहिया ,करीब बीस उन लोगो को चुनाव लडवाया जा रहा है जो पिछला चुनाव कम अन्तराल से हारे थे |
इस सूची में चार नये लोगो को भी शामिल गया तो चार सीटिंग विधायकों को | यदि आपको यही फार्मुला बनाना था तो इतनी लंबी कवायद की क्या जरूरत थी पहले ही कह देते चार हजार से कम हारने वाले सभी लड़ेगें ,सभी सीटिंग विधायक लड़ेगें ,जो लोकसभा चुनाव नहीं लड़े थे वे भी लड़ेगें, इससे दो फायदे होते न तो सर्वे का लफड़ा रहता और ना ही फ़ालतू की कवायद में समय बर्बाद होता | प्रत्याशियों को प्रचार का पूरा समय भी मिलता | दूसरी पार्टियों से आये करीब आधा दर्जन लोगो को भी प्रत्याशी बनाया गया ,अभी भी कई वेटिंग में है जो स्थान नहीं मिलने से इधर उधर तांका झांकी में भी जुट गए हैं | पार्टी नें यह जानने का प्रयास भी नहीं किया किस सीटिंग का कितना विरोध है और यदि किया भी तो उस पर गम्भीरता से संज्ञान नहीं लिया | घोषित चार में से दो को तो आज भी अपनी हालत का खुद आभास है | जो वेटिंग में है उनकी हालत भी अच्छी नहीं है | चलो जो हो गया सो हो गया, कहावत है बीती ताहि बिसार दे ,आगे की सुध ले अभी आधे से ज्यादा सीटें बाकी है कम से कम उन पर जमीनी स्तर पर काम नहीं हुआ तो समझ लेना गई भैंस पानी में | 26 साल से दिल्ली की सत्ता से बे-दखल पार्टी गम्भीरता से इस चुनाव में उतर रही है हमें तो लगा नहीं | पहली लिस्ट में हालांकि कुछ मजबूत नाम है लेकिन इनसे 36 का आंकड़ा पूरा होता नहीं दिख रहा | हालंकि 29 की घोषणा हुई है लेकिन जब ओपनर ही रन नहीं बनाएगें तो पारी कैसे आगे बढ़ेगी |
रही बात ये कम अन्तराल से हारे लोगो को मौका क्यों दिया उसके पीछे पार्टी की क्या मंशा थी जानेगें तो आप हैरान हो जायेगें ,हो गए ना हैरान , केवल एक बड़े कद के नेता को काटने के लिए यह पासा फेंका गया | उनका पत्ता तो कट गया लेकिन ये समझ लेना दो चार नहीं कहीं इससे ज्यादा सीटों पर आपकी जीत भी हार में बदल सकती है इस सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता | अब आप सोचिये कौन हैं ये बड़े नेता समझ में आये तो हमें बताना नही तो हम आपको बताएगें लेकिन ब्रेक के बाद | आज बस इतना ही …