भागवत कथा में ध्रुव चरित्र अजामिल अक्षान और नरसिंह अवतार का वर्णन अनजाने में भी भगवान का लिया मोक्ष की ओर ले जा सकता है

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भागवत कथा
भागवत कथा में ध्रुव चरित्र अजामिल अक्षान और नरसिंह अवतार का वर्णन अनजाने में भी भगवान का लिया मोक्ष की ओर ले जा सकता है

भागवत कथा में ध्रुव चरित्र अजामिल अक्षान और नरसिंह अवतार का वर्णन अनजाने में भी भगवान का लिया मोक्ष की ओर ले जा सकता है

नई दिल्ली ( सी.पी.एन.न्यूज़ ) : श्री सनातन धर्म मन्दिर ब्लाक 2 नेहरु नगर में भागवत कथा के तहत ध्रुव चरित्र ,ऋषभ देव,अनमिल अक्षान,प्रहलाद कथा,जद भरत चरित्र,नरसिंह अवतार तथा ह्रन्यकश्यप वध की लीला का वर्णन किया गया | भगवत का गुणगान कथावाचक पंडित अशोक दीक्षित नें अपनी मधुर वाणी से किया जिसे सुन श्रोता भावविहोर हो गए |नेहरु नगर मन्दिर के प्रधान प्रसिद्ध समाजसेवी विश्व हिन्दू परिषद के प्रान्त उपाध्यक्ष राजीव साहनी मन्दिर के कार्यकारी मंत्री तथा विश्व हिन्दू परिषद के कर्ण कपूर नें बताया भागवत सुनने के लिए बड़ी संख्या में लोग मन्दिर प्रांगण में पधार रहे हैं |

यहां भक्ति का अनूठा संगम देखने को मिल रहा है, जहां भक्तजन कथा श्रवण के साथ भजनों पर झूमते भी हैं। भागवत कथा में मंगलवार को ध्रुव चरित्र का सुंदर वर्णन किया गया। पंडित अशोक दीक्षित नें ध्रुव की भक्ति और तपस्या की कहानी सुनाई, जिसे सुनकर सैकड़ों भक्त भावविभोर हो गए। ध्रुव चरित्र एक युवा राजकुमार ध्रुव की दृढ़ भक्ति और कठोर तपस्या की कहानी है। राजा उत्तानपाद के पुत्र ध्रुव को उनकी सौतेली मां सुरुचि ने अपमानित किया था, जिसके बाद उन्होंने घर त्याग कर भगवान विष्णु की तपस्या करने का संकल्प लिया। ध्रुव ने एक पैर पर खड़े होकर छह महीने तक कठोर तपस्या की। उन्होंने अपनी तपस्या के दौरान पहले कंद-मूल फल खाए, फिर केवल पत्ते और उसके बाद सिर्फ जल पर जीवित रहे।

अंत में, वे केवल हवा के सहारे तपस्या करने लगे। उनकी इस घोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन दिए और वरदान दिया। इस वरदान के फलस्वरूप ध्रुव को आकाश में एक स्थायी स्थान प्राप्त हुआ, जिसे आज ‘ध्रुव तारा’ के नाम से जाना जाता है। अशोक दीक्षित नें बताया अजामिल कथा भगवान के नाम की महिमा, भक्ति की शक्ति, और पापमुक्ति के मार्ग को उजागर करती है। अजामिल, जो एक धर्मनिष्ठ ब्राह्मण से पापी बन गया था, ने अपने अंतिम क्षणों में भगवान विष्णु के नाम “नारायण” का उच्चारण किया और यमदूतों से मुक्ति पाकर वैकुण्ठ लोक की प्राप्ति की। यह कहानी हमें सिखाती है कि भगवान का नाम, चाहे अनजाने में ही क्यों न लिया जाए, सभी पापों को नष्ट कर सकता है और जीव को मोक्ष की ओर ले जा सकता है। पंडित अशोक दीक्षित नें बताया नृसिंह अवतार भगवान विष्णु का चौथा अवतार है, जिसमें उन्होंने आधे मानव और आधे सिंह के रूप में प्रकट होकर अधर्म का नाश किया और धर्म की रक्षा और स्थापना की। यह अवतार भगवान विष्णु ने अपने परमभक्त प्रह्लाद की रक्षा और दुष्ट राजा हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए लिया था।

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