दशलक्षण महापर्व आत्मशुद्धि और क्षमा का संदेश देगा : विनीत जैन
* पर्व को बताया समाज में भाईचारे और शांति का सूत्रधार
नई दिल्ली ( सी.पी.एन.न्यूज़ ) : जैन समाज का सबसे पावन पर्व दशलक्षण महापर्व शीघ्र ही आरंभ होने जा रहा है। यह महापर्व 28 अगस्त से 6 सितंबर 2025 तक पूरे उल्लास और भक्ति भाव के साथ मनाया जाएगा। भाजपा शाहदरा जिला के मीडिया प्रभारी विनीत जैन ने कहा कि दशलक्षण पर्व केवल धार्मिक आयोजन मात्र नहीं है, बल्कि यह आत्मशुद्धि, आत्मसंयम और आत्मकल्याण का अनुपम अवसर है। यह पर्व व्यक्ति को भीतर से सशक्त बनाने और समाज में शांति व भाईचारा स्थापित करने का मार्ग दिखाता है।
विनीत जैन ने कहा कि दशलक्षण पर्व जैन धर्म में बताए गए आत्मा के दस लक्षणों पर आधारित है – उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम शौच, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम आकिंचन्य और उत्तम ब्रह्मचर्य। दस दिनों तक प्रतिदिन एक लक्षण का स्मरण और उसका आचरण करने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि इन गुणों को हम अपने व्यवहार में शामिल कर लें, तो समाज में सकारात्मकता, सद्भाव और करुणा का वातावरण सहज ही बन सकता है। उन्होंने बताया कि पर्व के दौरान श्रद्धालु उपवास, आयंबिल, स्वाध्याय और तपस्या करेंगे। मंदिरों में धार्मिक प्रवचन और भक्ति कार्यक्रमों का आयोजन होगा। यह पर्व केवल अनुष्ठान नहीं बल्कि जीवन में संयम और सत्य की महत्ता को आत्मसात करने का प्रेरक उत्सव है।
विनीत जैन ने विशेष रूप से बताया कि दशलक्षण पर्व का अंतिम दिन अनंत चतुर्दशी का होता है और इसके अगले दिन “क्षमावाणी पर्व” के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन जैन समाज का प्रत्येक व्यक्ति अपने परिचितों, मित्रों और परिजनों से क्षमा याचना करेगा। उन्होंने कहा कि क्षमावाणी पर्व आपसी कटुता और वैमनस्य समाप्त करने तथा एक-दूसरे से नई शुरुआत करने का अवसर है। इसका अर्थ केवल औपचारिक क्षमा नहीं बल्कि हृदय से वैर-भाव का परित्याग है। यही जैन धर्म का सर्वोच्च संदेश है कि “क्षमा ही धर्म है।” आज के समय में जब समाज में तनाव और असहिष्णुता बढ़ रही है, तब दशलक्षण पर्व और क्षमावाणी पर्व का महत्व और भी गहरा हो जाता है। यह पर्व हमें बताता है कि करुणा और क्षमा से बड़ा कोई धर्म नहीं। भारत की संस्कृति ने हमेशा विश्व को अहिंसा और करुणा का संदेश दिया है और क्षमावाणी पर्व उसी परंपरा का जीवंत प्रतीक है।
विनीत जैन ने आह्वान किया कि हम सभी इस महापर्व को आत्मशुद्धि और आत्मकल्याण के संकल्प के साथ मनाएँ और क्षमावाणी के अवसर पर आपसी मतभेद भुलाकर समाज में प्रेम, सद्भाव और भाईचारे की नई शुरुआत करें।



