K अक्षर से क्या है ऋतिक के पिता राकेश रोशन का कनेक्शन? अंधविश्वास या कुछ और, जानिए सच्चाई
मशहूर एक्टर और डायरेक्टर राकेश रोशन 6 सितंबर को 75 साल के हो गए हैं. इस मौके पर हम आपको बताएंगे कि आखिर राकेश अपनी हर फिल्म के नाम ‘के’ अक्षर से ही क्यों रखते हैं.
मशहूर एक्टर और डायरेक्टर राकेश रोशन आज (6 सितंबर) अपना 75वां जन्मदिन मना रहे हैं. राकेश रोशन का जन्म 6 सितंबर 1949 को मुंबई में हुआ था. राकेश बॉलीवुड सुपरस्टार ऋतिक रोशन के पिता के तौर भी पहचान रखते हैं.
राकेश ने एक समय में फिल्मों में लीड एक्टर के किरदार निभाए और बाद में उन्होंने बतौर डायरेक्टर काम किया. एक्टिंग और डायरेक्शन दोनों में ही राकेश रोशन सफल रहे. वे अपनी फिल्मों के अलावा उनके नाम ‘के’ या ‘K’ लेटर से रखने के चलते भी सुर्खियों में रहे. उनकी फिल्मों के नाम की शुरुआत K लेटर से ही होती है. क्या उनका ‘के’ से कोई लगाव है या अंधविश्वास है. आइए जानते है इसके पीछे की दिलचस्प कहानी.
एक्टर से डायरेक्टर बने राकेश रोशन
राकेश रोशन ने फिल्मों में एक्टर के रुप में काम करने के बाद डायरेक्शन के क्षेत्र में हाथ आजमाया था. राकेश अब तक कई शानदार फिल्में बना चुके हैं. हालांकि एक समय के बाद उन्होंने K अक्षर से ही अपनी फिल्मों के नाम रखने शुरू कर दिए थे. ऐसा उन्होंने एक फैन के लेटर मिलने के काफी समय बाद किया था.
फैन के लेटर ने बदली सोच
राकेश जब साल 1984 में अपनी फिल्म ‘जाग उठा इंसान’ पर काम कर रहे थे तब उन्हें एक फैन का लेटर लिखा था. फैन ने उन्हें सलाह दी थी कि वे अपनी फिल्मों के नाम ‘क’ से रखे. लेकिन एक्टर ने ऐसा नहीं किया. बाद में 1986 में ‘भगवान दादा’ फ्लॉप हुई तो राकेश ने फैन की बात पर विचार किया.
‘खुदगर्ज’ से रखा डायरेक्शन में कदम
राकेश रोशन के डायरेक्शन में बनी पहली फिल्म है ‘खुदगर्ज’. ये फिल्म साल 1987 में रिलीज हुई थी. इसके नाम की शुरुआत ‘क’ से ही होती है. इसके बाद उन्होंने ‘खट्टा मीठा’ और ‘खंडन’ जैसी फिल्में बनाई जो बॉक्स ऑफिस पर सफल रही.
फिर ‘क’ से ही फिल्मों के नाम रखने लगे राकेश
राकेश ने फिर बतौर डायरेक्टर काला बाजार, करण अर्जुन, कहो ना प्यार है, कोई मिल गया, कृष, कृष 3, कोयला और खून भरी मांग जैसी कई बेहतरीन फिल्में बनाई. इनके सभी के नाम की शुरुआत ‘क’ से ही होती है.