यमुना की सफाई के लिए लाई गई नौसेना की नाव नदी की गाद में फंसी

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यमुना नदी साफ़ करने के लिए लाई गई भारतीय नौसेना की बोट यमुना की गंदगी में ही फंसी

देश की राजधानी में यमुना से गाद की सफ़ाई के लिए दिल्ली के एलजी ने भारतीय नौसेना से बोट ली, लेकिन नौसेना की बोट यमुना की उसी गाद में फंस गई है, जिसकी सफ़ाई के लिए उसे लाया गया था.

दिल्ली में यमुना नदी को साफ करने में मदद करने के लिए तैनात भारतीय नौसेना की एक नाव उसी सीवेज में फंस गई है, जिसे हटाने के लिए उसे लाया गया है. नौसेना का ‘बारासिंघा’ एक सप्ताह से अधिक समय से नदी के किनारे यमुना में गंदगी और कचरे में फंसा हुआ है. बोट अपनी जगह से हिलने में असमर्थ है, क्योंकि पानी बहुत उथला है. किसी भी नाव को चलने के लिए कम से कम दो मीटर गहराई की आवश्यकता होती है, लेकिन दशकों के प्रदूषण के कारण नदी के कुछ हिस्सों में गहराई बहुत कम है.

कचरे को निकालने के प्रयास में नौसेना की मांगी नाव

उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने भारत की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक में जमा हुए कचरे को निकालने के प्रयास में नौसेना की नाव मांगी थी. यमुना से गाद निकालने का ये अभियान वजीराबाद से ओखाला तक 22 किलोमीटर की दूरी को कवर करेगा, जिसे सबसे गंदा और सबसे जहरीला हिस्सा माना जाता है. यमुना में एक अंतर्देशीय जलमार्ग स्थापित करने की योजना के बीच नाव का उद्देश्य सफाई की निगरानी करना भी था.

अधिकारियों ने कहा कि अब कीचड़ को साफ करना होगा, ताकि नाव चल सके और अपना काम कर सके. यह स्पष्ट नहीं है कि नाव को लाने से पहले स्थिति का आकलन किया गया था या नहीं. भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक मानी जाने वाली यमुना भी मानव गतिविधियों जैसे मृतकों की राख के विसर्जन, धार्मिक अनुष्ठानों, घरेलू कचरे और औद्योगिक अपशिष्टों के कारण सबसे अधिक प्रदूषित हो गई है.

सीवेज के कारण, नदी के कुछ हिस्‍से तो अक्सर मोटे सफेद झाग से ढक जाते हैं. ऐसा पानी किसी भी उपयोग में नहीं लाया जा सकता है. दिल्ली प्रदूषण पैनल की एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में यमुना को साफ करने के लिए 2017 और 2021 के बीच लगभग 6,856 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, लेकिन नदी के बड़े हिस्से काफी प्रदूषित हैं.

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