राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नए राज्यपालों की नियुक्ति की, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने दिया इस्तीफा

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सरकार ने BJP के चार नेताओं और 2019 में ऐतिहासिक अयोध्या फैसला सुनाने वाली पीठ के सदस्य रहे उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एस अब्दुल नजीर सहित छह नए चेहरों को रविवार को राज्यपाल नियुक्त किया तथा सात राज्यों में राज्यपाल पदों में फेरबदल किया। राष्ट्रपति भवन के एक प्रवक्ता के अनुसार, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और लद्दाख के उपराज्यपाल आर के माथुर के इस्तीफे स्वीकार कर लिए हैं।अधिकारी ने बताया कि झारखंड के राज्यपाल रहे रमेश बैस को महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया है। छत्रपति शिवाजी पर अपनी टिप्पणी को लेकर विपक्ष के निशाने पर आए कोश्यारी ने पिछले महीने कहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पद छोड़ने की अपनी इच्छा से अवगत कराया है और वह अपना शेष जीवन पढ़ने, लिखने तथा अन्य गतिविधियों में बिताना चाहते हैं।

कोश्यारी ने सितंबर 2019 में महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में उस समय पदभार संभाला था, जब राज्य में राजनीतिक उथल-पुथल के बाद शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी से अपना नाता तोड़ लिया था। उन्होंने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अजित पवार को उपमुख्यमंत्री के रूप में पद की शपथ दिलाई, लेकिन वे केवल तीन दिन पद पर रहे। जब महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी सत्ता में थी, तो राज्यपाल कोटे से राज्य विधान परिषद में 12 सदस्यों की नियुक्ति जैसे कई मुद्दों पर सरकार के साथ उनके कई विवाद हुए। एमवीए ने उन पर पक्षपातपूर्ण तरीके से काम करने का आरोप लगाया था। कोश्यारी ने हाल में छत्रपति शिवाजी को ‘‘पुराने समय का आदर्श’’ बताकर विवाद खड़ा कर दिया था। इस टिप्पणी को लेकर विपक्षी दलों ने विरोध प्रदर्शन किए थे और राज्यपाल को पद से हटाए जाने की मांग की थी।

अभी यह पता नहीं चल पाया है कि माथुर ने इस्तीफा क्यों दिया। माथुर केंद्र शासित प्रदेश में प्रसिद्ध शिक्षा सुधारवादी सोनम वांगचुक के नेतृत्व वाले कड़े विरोध का सामना कर रहे थे। प्रवक्ता ने बताया कि राष्ट्रपति ने माथुर के स्थान पर अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल ब्रिगेडियर बी डी मिश्रा को नियुक्त किया है। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति नजीर को आंध्र प्रदेश का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया है और आंध्र प्रदेश के निवर्तमान राज्यपाल बिस्वा भूषण हरिचंदन को छत्तीसगढ़ स्थानांतरित किया गया है। न्यायमूर्ति नजीर चार जनवरी को सेवानिवृत्त हुए थे। वह राजनीतिक रूप से संवदेनशील अयोध्या भूमि विवाद, ‘तीन तलाक’ और ‘निजता के अधिकार’ को मौलिक अधिकार घोषित करने वाले कई बड़े फैसलों को हिस्सा रहे। सत्रह फरवरी, 2017 को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किए गए न्यायमूर्ति नजीर कई संविधान पीठों का हिस्सा रहे, जिन्होंने 2016 में 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोट चलन से बाहर किए जाने से लेकर सरकारी नौकरियों एवं दाखिलों में मराठों के लिए आरक्षण और उच्च सरकारी अधिकारियों की भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार तक कई मामलों पर फैसले सुनाए। वह पांच-न्यायाधीशों की उस संविधान पीठ का हिस्सा थे, जिसने नवंबर 2019 में अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ किया था और केंद्र को एक मस्जिद के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ का भूखंड आवंटित करने का निर्देश दिया था।

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