India Sri Lanka Relation latest News: पौराणिक कथा रामायण को छोड़ दें तो भी भारत और श्रीलंका के संबंध कई सौ साल पुराने हैं. तीसरी शताब्दी में भारत से ही वहां बौद्ध धर्म गया. इसके बाद 10वीं शताब्दी में दक्षिण भारत के चोल राजवंश के राजेंद्र चोल ने श्रीलंका पर कई बार विजय प्राप्त की और वहां स्थायी सांस्कृतिक प्रभाव स्थापत किया.
संबंधों का यह सिलसिला आगे भी जारी रहा. भारत की आजादी के 1 साल बाद ही यानी 1948 में श्रीलंका को भी आजादी मिल गई थी. आजादी के बाद से भारत ने हमेशा श्रीलंका के लिए बड़े भाई की भूमिका निभाई, लेकिन श्रींलंका ने चीन के जाल में फंसकर छोटे भाई का फर्ज निभाने से चूकता रहा है.
श्रीलंका ने किया भारत से ये वादा
पिछले दिनों श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके भारत दौरे पर थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद दिसानायके ने पीएम मोदी को यह भरोसा दिया है कि वह अपने देश की जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होने देंगे. उनके दावे कितने सच साबित होते हैं यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन यहां हम बता रहे हैं, दोनों देशों के संबंधों की जमीनी हकीकत, साथ ही जानेंगे चीन कैसे श्रीलंका को अपने जाल में फंसा चुका है.
भारत और श्रीलंका के संबंधों की मजबूती जानें
भारत और श्रीलंका के बीच संबंधों की मजबूती का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि श्रींलका ने भारत के आधार कार्ड सिस्टम को अपने देश में लागू करने का फैसला किया है. भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि भारत श्रीलंका के यूनिक आइडेंटिफिकेशन प्रोजेक्ट का समर्थन करने के लिए राजी हुआ है. यह प्रोजेक्ट भारत के आधार कार्ड की तरह विकसित होगा. इसके अलावा भारत, उत्तरी श्रीलंका में एक एयरपोर्ट के विकास के लिए आर्थिक मदद मुहैया कराएगा.
भारत श्रीलंका में हाउसिंग प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहा है. जल्द ही इस प्रोजेक्ट से जुड़े फेज-3 और फेज-4 का काम पूरा होने वाला है. इसके अलावा भारत श्रीलंका में 3 द्वीपों पर हाइब्रिड रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट और कम्युनिटी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहा है. दोनों देशों के बीच 5 बिलियन डॉलर की रोड, रेल लिंक परियोजना पर बात हो रही है, जिससे भारत और श्रीलंका के बीच कनेक्टिविटी बेहतर होगी.
ये तीन प्रोजेक्ट देंगे नई उड़ान
भारत और श्रीलंका के बीच तीन बड़े प्रोजेक्ट पर भी काम चल रहा है, जो रिश्तों को नई उड़ान देंगे. इनमें पहला है, डायरेक्ट कनेक्टिविटी. इसके तहत भारत और श्रीलंका के बीच समुद्र पर एक पुल का निर्माण होना है. दूसरा प्रोजेक्ट है बिजली. इसके तहत श्रीलंका के बिजली डिस्ट्रिब्यूशन सेक्टर को भारत के पावर ग्रिड से जोड़ना शामिल है. वहीं, तीसरा प्रोजेक्ट दोनों देशों के बीच गैस और तेल आपूर्ति के लिए पाइपलाइन बनाना है.
चीन इस तरह दे रहा चुनौती
दूसरी तरफ चीन की बात करें तो वह शुरू से ही भारत के पड़ोसियों को अपने जाल में फंसाकर उनका इस्तेमाल भारत को घेरने के लिए करता रहा है. ऐसा ही कुछ वह श्रीलंका के साथ कर रहा है. उसने पहले चीन को कर्ज के बोझ में डुबोया. इसके बाद हंबनटोटा बंदरगाह पर कब्जा कर लिया. इसके अलावा वह कोलंबो के बाहर एक रडार बेस बनाने पर भी काम कर रहा है. इस रडार बेस के जरिए चीन भारतीय नौसेना की गतिविधियों और तमिलनाडु में बने दोनों परमाणु ऊर्जा संयंत्रों पर नजर रख सकेगा.
BRI प्रोजेक्ट में भी फंसाया
चीन ने श्रीलंका को अपने महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) प्रोजेक्ट का हिस्सा बना रखा है. इस प्रोजेक्ट से चीन के लिए व्यापार के लिहाज से दो रास्ते बन जाएंगे.
कर्ज में बुरी तरह डुबोया
चीन पिछले 20 साल में श्रीलंका को 12 अरब डॉलर कर्ज दे चुका है. अगर पूरे कर्ज की बात करें तो श्रीलंका ने ड्रैगन से 6.8 अरब डॉलर का कर्ज ले रखा है. कर्ज न चुकाने के कारण ही उसे अपना हंबनटोटा पोर्ट चीन को पट्टे पर देना पड़ा था.