दस साल के शासन में केजरीवाल को पुजारियों और ग्रंथियों की याद क्यों नहीं आई : दीपक गाबा

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दीपक गाबा
दस साल के शासन में केजरीवाल को पुजारियों और ग्रंथियों की याद क्यों नहीं आई : दीपक गाबा

दस साल के शासन में केजरीवाल को पुजारियों और ग्रंथियों की याद क्यों नहीं आई : दीपक गाबा

नई दिल्ली (सी.पी.एन.न्यूज़ ) दिल्ली विधानसभा चुनावों की घोषणा के चंद दिन पूर्व आम आदमी पार्टी को कभी महिला सम्मान योजना की याद आ रही है तो कभी 60 साल से ऊपर के लोगो के लिए संजीवनी योजना बनाने की तो आज उन्हें ग्रंथियों और पुजारियों की याद आ रही है | यह कहना है भारतीय जनता पार्टी शाहदरा जिला भारतीय जनता पार्टी के महामंत्री दीप गाबा का | दीपक गाबा कहते है अरविन्द केजरीवाल को यह अच्छे से एहसास हो चुका है दिल्ली की जनता अब उनकी पार्टी की विदाई करने जा रही है और इसलिए वे अपनी बौखलाहट में ऐसी योजनाओं की घोषणा करने में लगी हैं जिन्हें वे पूरी ही नहीं कर सकते | दीपक गाबा कहते है अरविन्द केजरीवाल बहुत बड़ी गलतफहमी में ही ऐसी लोक लुभावनी घोषणाएं कर वे दिल्ली की जनता को भ्रमित कर फिर से सरकार बना लेंगे |

दीपक गाबा कहते है दिल्ली की जनता नें अरविन्द केजरीवाल और उनके मंत्रियों को भ्रस्टाचार करते देखा है ,खुद मुख्यमंत्री और मंत्रियों को जेल जाते देखा देखा है | दिल्ली के लोग केजरीवाल और उनकी टीम की असलियत पहचान चुके ही लिहाजा अब लोग इनके बहकावे में नहीं आने वाले | दीपक गाबा ने आम आदमी पार्टी द्वारा पुजारियों और ग्रंथि को वेतन देने के वादे को चुनावी स्टंट करार दिया है। उन्होंने अरविंद केजरीवाल पर चुनाव से पहले धर्म को राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।

दीपक गाबा कहते है जब हार सामने दिख रही है, तब केजरीवाल को पुजारियों की याद आ रही है। पिछले 10 सालों में उन्होंने केवल मस्जिदों के मौलवियों को वोट बैंक के लिए तवज्जो दी,उन्होंने आरोप लगाया कि आप सरकार ने करदाताओं के पैसे से मस्जिद के मौलवियों और उनके सहायकों पर करोड़ों रुपये खर्च किए। लेकिन मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को नजरअंदाज किया। दीपक गाबा ने पुजारियों और ग्रंथियों को वेतन देने के वादे को लेकर आप पर निशाना साधते हुए कहा यह केवल एक राजनीतिक स्टंट है

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