खंडित मूर्तियों को सम्मान के साथ विसर्जित करने की मुहिम चला रहे हैं विजय गिलहोत्रा
– शिवा कौशिक –
नई दिल्ली ,भगवान की मूर्ति सही हो या खंडित हो लेकिन वह खंडित मूर्ति भी भगवान की है और उस खंडित मूर्ति को इधर उधर रखने के बजाए उसका सम्मान से विसर्जन होना चाहिए, जी हां ऐसा कहना है गीता कॉलोनी वार्ड के पूर्व निगम प्रत्याशी विजय गिलहोत्रा का। अपने द्वारा शुरू की गई खंडित मूर्तियों एवं प्रयोग हुए पूजा पाठ के सामान को सम्मानित तरीके से विसर्जन करने की मुहिम पर बात करते हुए विजय गिलहोत्रा ने कहा कि पहले तो लोग भगवान के स्वरूप को, पूजा पाठ के सामान को बड़े चाव से घर में लाते है, अपने मंदिर में सजाते है, उनकी सेवा करते है, उनसे प्रार्थना करते है, उनसे अपने लिए मनचाही इच्छा मांगते है और भगवान उनकी इच्छा को पूरा भी करते है लेकिन कुछ समय बाद जब वो मूर्ति खंडित हो जाती है तो फिर उस खंडित मूर्ति का अपमान करते हुए कही गली के किनारे, पुलिया पे, नाली के पास, पार्कों में, पेड़ों के नीचे उन खंडित मूर्तियों को रख देते है जो कि गलत है।
विजय गिलहोत्रा ने आगे कहा कि मेरी यह सोच है कि भगवान की मूर्ति चाहे नई हो या खंडित हो और यदि वह मूर्ति खंडित भी हो गई है तो भी उस मूर्ति का सम्मान से विसर्जन होना चाहिए। विजय गिलहोत्रा ने आगे कहा कि एनजीटी के नियमों के हिसाब से यमुना जी में इन खंडित मूर्तियों का विसर्जन नहीं कर सकते क्योंकि इन खंडित मूर्तियों के ऊपर जो रंग इस्तेमाल किया जाता है उसमें रसायन होता है तो हम क्या करते है, हम यमुना जी के किनारे एक बड़ा सा गड्ढा करते है फिर उस गड्ढे में पानी भर देते है फिर उसके बाद उसमें खंडित स्वरूप, मूर्तियां एवं प्रयोग हुई पूजा सामग्री उस गड्ढे में डाल कर ऊपर से मिट्टी डालने के बाद उनकी पूजा कर देते है।
विजय गिलहोत्रा ने आगे बताया कि मैं अपने माता पिता के नाम से बनाई गई समिति अमर सुमि सेवा समिति के तहत पिछले चार से पांच वर्षों से यह काम करता आ रहा हूं एवं मैं निरंतर किसी न किसी तरीके से समाज सेवा के कार्यों को भी करता रहता हूं। विजय गिलहोत्रा ने आगे बताया कि उन्होंने कोरोना के समय दो हजार लोगों को ऑक्सीजन वितरित की थी। विजय गिलहोत्रा ने आगे कहा कि मैं कई वर्षों से समाज की सेवा कर रहा हूं और आगे भी निरंतर इसी तरह से हर संभव तरीके से मैं समाज की सेवा करने का पूरा प्रयास करूंगा।