पेट मे फंसा चाकू लेकर अस्पताल पहुंचा युवक, डॉक्टरों ने नींद से उठकर ऑपरेशन करके बचा ली जान
ऑपरेशन करने वाले सर्जरी विभाग के डॉ.अरुण पारगी और डॉ.रिंकू यादव ने बताया कि युवक के पेट में चाकू फंसा हुआ था और वह होश में तो था, लेकिन उसका बीपी 80-50 आ रहा था. हालत ऐसी नहीं थी कि उसे इंदौर रेफर किया जा सके. इसलिए हमने तय किया कि ऑपरेशन रात में ही करेंगे.
चाकू कांड में घायल हुए युवक के पेट ही चाकू फंस गया
मध्यप्रदेश के खंडवा में हुए एक चाकू कांड में घायल हुए युवक के पेट ही चाकू फंस गया. उसे ऐसी ही हालात में जिला अस्पताल में भर्ती किया गया. देर रात हुई इस घटना में युवक की स्थिति गंभीर थी. ऐसे में मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने रात में ही घायल युवक का ऑपरेशन करने का फैसला लिया. खंडवा के इतिहास में यह पहली बार हुआ कि रात 3 बजे मेडिकल कॉलेज के ऑपरेशन थियेटर को खोल कर ऑपरेशन किया गया हो.
यह ऑपरेशन 3 घंटे तक चला, जिससे युवक की जान बचाई गई. खंडवा जिले में यह पहली बार हुआ कि रात 3 बजे नींद से जाग कर डॉक्टरों की पूरी टीम ने कोई सफल ऑपरेशन किया. वरना गंभीर रूप से घायलों को खंडवा से इंदौर रेफर कर दिया जाता था.
बीते रविवार-सोमवार की रात खंडवा के तीन पुलिया क्षेत्र में हुए विवाद में एक युवक को आरोपियों ने चाकू मार दिया था. पेट में फंसा चाकू लेकर घायल जिला अस्पताल रात 2 बजे के करीब पहुंचा था. डॉक्टर्स ने घायल की हालत देखकर रात में पहली बार ओटी खोलकर ऑपरेशन किया. आईसीयू में भर्ती घायल अब खतरे से बाहर है.
ऑपरेशन करने वाले सर्जरी विभाग के डॉ.अरुण पारगी और डॉ.रिंकू यादव ने बताया नकुल पिता विजय तिड़के (20) निवासी चिड़िया मैदान के पेट में चाकू फंसा हुआ था. घायल होश में तो था, लेकिन उसका बीपी 80-50 आ रहा था. हालत ऐसी नहीं थी कि उसे इंदौर रेफर किया जा सके. इसलिए हमने तय किया कि ऑपरेशन रात में ही करेंगे. जिसके बाद एनेस्थिसिया विशेषज्ञ डॉ.शिखा अग्रवाल और सर्जरी विभाग के डॉ.सूरज जैन,एसआर डॉ.विशाल बंसल सहित नर्सिंग स्टाफ के सहयोग से ऑपरेशन शुरू किया. उन्होंने बताया कि हमने घायल का रक्तस्त्राव रोकने के उपाय किए. रात 3 से सुबह 6 बजे तक ऑपरेशन चला. अब उसकी हालत में सुधार आ रहा है.
मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ.अनंत पवार ने बताया कि सर्जरी विभाग की टीम ने घायल के पेट में फंसे चाकू के घाव और हालत को देखते हुए रात में इमरजेंसी में ओटी खोलकर ऑपरेशन किया. इसके कारण मरीज की जान बच गई.