लोगो के दिलों में आज भी राज करती हैं शीला दीक्षित
* पुण्यतिथि पर लगा उनके घर पर हुजूम
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली : शीला दीक्षित का नाम आज भी लोगो के दिलों में जिंदा है | ना केवल कांग्रेस से जुड़े अपितु दिल्ली के लाखों लोग आज भी शीला दीक्षित को याद करते है | और करें भी क्यों ना आखिर उनकी दिल्ली को जो संवारा था उन्होंने | आलम यह है आज भी बस हो या मेट्रो या चाय या पान की दुकान शीला जी का नाम आते ही लोग उन्हें याद करने लगते है | उनकी विकास गाथा की चर्चा करने लगते है और कहते हैं शीला जी यदि एक कार्य काल और रह जाती
तो यह दिल्ली अधूरी नहीं रहती | दिल्ली पर भ्रष्टाचार का दाग भी नहीं लगता | और दिल्ली सही मायने में वर्ल्ड लेवल की कहलाती | आज भी दर्जनों ऐसी योजनाएं लंबित है या ठंडे बस्ते में डाल दी गई है जो उन्होंने शुरू की थी |
शीला जी में वे तमाम गुण थे जो एक सुलझे हुए पॉलिटिशियन में होते हैं | अपनी सूझ बुझ के चलते ही उन्होंने अपनी योजनाएं भाजपा शासन में भी नहीं रुकने दी | और दिल्ली के विकास के लिए वे जो चाहती थी करती चली गई | शायद यही वजह है दिल्ली उन्हें आज भी याद करती है और जब तक यह पीढ़ी जिन्दा है उन्हें भुला पाना आसान नहीं होगा | कार्यकर्ताओं के साथ-साथ पार्टी हाईकमान में उनकी जबर्दस्त पकड़ थी और इसी तरह प्रशासन पर उनकी पैनी नजर रहती थी | कोई भी योजना बनाने से पहले उसपर पूरा अध्ययन करना और जब तक वह योजना पूरी नहीं हो जाती थी उस पर नजर रखना उनकी दिनचर्या का अहम हिस्सा होता था | उन्हें विरासत में एक थकी हुई बदसूरत सी दिल्ली मिली थी ,जिसमे दम तोडती परिवहन व्यवस्था ,बिगड़ा हुआ स्वास्थ्य सिस्टम ,उजड़ी हुई हरियाली , दम घोटता प्रदूष्ण ,बिजली से जूझती दिल्ली और ना जाने क्या-क्या लेकिन अपने कार्यकाल में उन्होंने ना केवल पुराना ढर्रा सुधारा अपितु एक मजबूत दिल्ली की नीवं रख सुनहरे भविष का सपना रचा | और दिल्ली तथा दिल्ली के सिस्टम को इतना चमका कर रख दिया कि उनकी सत्ता के जाने के दस साल बाद भी लोग उनके किये विकास को याद करते है |
शीला जी की पांचवी पुण्यतिथि पर आज हजारों लोग उनके निवास स्थान पर पहुंचे ,भीड़ का आलम यह था कि वहां पर लोगो को गाडी पार्क करने तक की जगह नहीं मिल रही थी और काफी दूर पैदल चलकर जाना पड़ रहा था अपनी प्रिय नेता को पुष्पांजली जो अर्पित करनी थी उन्हें | बड़े नेताओं से ले हजारों जमीनी कार्यकर्ता वहां पहुंचे थे | शीला जी तथा उनके योगदान पर मैं एक पुस्तक लिख सकता हूँ लेकिन आज बस इतना ही | उनकी पांचवी पुण्यतिथि पर नमन |