Putin Convoy Car Blast: मॉस्को में व्लादिमिर पुतिन के काफिले की कार में विस्फोट, सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर
रूस की राजधानी मॉस्को में एक सनसनीखेज घटना घटी, जब राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के काफिले की एक कार में तेज़ धमाका हुआ। यह घटना खुफिया एजेंसी एफएसबी के मुख्यालय के पास हुई, जहां पुतिन के सुरक्षा तंत्र के तहत चल रही एक लग्जरी लिमोजिन कार अचानक विस्फोट की चपेट में आ गई। इस धमाके के तुरंत बाद इलाके में अफरा-तफरी मच गई और सुरक्षा बलों ने पूरे क्षेत्र को घेर लिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कार के इंजन में पहले आग लगी, जो धीरे-धीरे पूरे वाहन में फैल गई और फिर एक तेज़ धमाके में बदल गई।
रूस के अधिकारियों ने इस घटना को गंभीरता से लिया है और मामले की जांच शुरू कर दी गई है। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि यह एक दुर्घटना थी या फिर किसी षड्यंत्र के तहत अंजाम दी गई कोई सुनियोजित साजिश। राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की सुरक्षा दुनिया की सबसे अभेद्य सुरक्षा व्यवस्थाओं में से एक मानी जाती है, लेकिन इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह एक तकनीकी खराबी थी, या फिर किसी गहरे षड्यंत्र की शुरुआत? क्या यह पुतिन की सुरक्षा को चुनौती देने की एक सोची-समझी कोशिश थी? इस विस्फोट ने रूस की सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है, और अब इस पर बारीकी से जांच की जा रही है।
इस घटना से कुछ दिन पहले ही यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने एक चौंकाने वाला बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि व्लादिमिर पुतिन की मौत निकट है और उनके जाने के बाद ही यूक्रेन युद्ध का अंत होगा। पेरिस में एक मीडिया इंटरव्यू के दौरान जेलेंस्की ने दावा किया कि पुतिन की सत्ता अब अधिक समय तक नहीं टिक पाएगी। उनके इस बयान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गंभीरता से लिया गया था और अब मॉस्को में हुए इस धमाके के बाद इस बयान को लेकर नए सिरे से चर्चा तेज़ हो गई है। क्या यह एक महज़ संयोग था, या फिर कोई गहरी साजिश इस पूरे घटनाक्रम के पीछे छिपी हुई है?
पुतिन की सुरक्षा को लेकर पूरी दुनिया जानती है कि वे सबसे सुरक्षित नेताओं में गिने जाते हैं। उनके बॉडीगार्ड्स विशेष रूप से प्रशिक्षित होते हैं और उन्हें “मस्किटियर्स” कहा जाता है। ये एजेंट रूस की फेडरल सिक्योरिटी फोर्स यानी एफपीएस या एफएसओ के अंतर्गत आते हैं और इन्हें किसी भी परिस्थिति में पुतिन की सुरक्षा सुनिश्चित करने की पूरी छूट दी गई होती है। इनके पास बिना किसी वारंट के तलाशी, गिरफ्तारी, निगरानी और किसी भी सरकारी एजेंसी को निर्देश देने की शक्तियां होती हैं। जब भी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन यात्रा करते हैं, तो उनका काफिला आधुनिकतम हथियारों से लैस होता है। इसमें एके-47 राइफल्स, टैंक-रोधी ग्रेनेड लॉन्चर और पोर्टेबल एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइलें शामिल होती हैं। उनकी सुरक्षा को चार घेरों में बांटा जाता है। पहला घेरा उनके निजी बॉडीगार्ड्स का होता है, जो हमेशा उनके चारों ओर मौजूद रहते हैं। दूसरा घेरा भीड़ में तैनात होता है, ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत कार्रवाई की जा सके। तीसरा घेरा भीड़ की बाहरी सीमा पर होता है, जो किसी भी संभावित खतरे को पहले ही पहचानने और रोकने के लिए तैयार रहता है। चौथा घेरा उन स्नाइपर्स का होता है, जो आसपास की ऊंची इमारतों और छतों पर तैनात रहते हैं और हर हरकत पर पैनी नज़र रखते हैं।
धमाके का शिकार हुई लिमोजिन कार वही मॉडल थी, जिसे राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन नियमित रूप से इस्तेमाल करते हैं। इस कार को विशेष रूप से रूस में बनाया गया है और इसमें अत्याधुनिक सुरक्षा उपायों को शामिल किया गया है। यह कार पूरी तरह से बुलेटप्रूफ होती है और इसमें बम निरोधक प्रणाली भी मौजूद होती है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि पिछले साल उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन को व्लादिमिर पुतिन ने यही कार उपहार के रूप में भेंट की थी। इस कार को विशेष रूप से हाई-प्रोफाइल व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए तैयार किया गया था, लेकिन इसके बावजूद इस कार में विस्फोट होने से सुरक्षा विशेषज्ञों के बीच चिंता बढ़ गई है।
रूस की जांच एजेंसियां अब इस पूरे मामले की गहन पड़ताल कर रही हैं। प्रारंभिक जांच से यह संकेत मिल रहे हैं कि यह विस्फोट कार में तकनीकी खराबी के कारण भी हो सकता है, लेकिन सुरक्षा विशेषज्ञ इस संभावना से भी इंकार नहीं कर रहे हैं कि यह हमला पुतिन को निशाना बनाने के लिए किया गया हो। यदि यह वास्तव में कोई साजिश थी, तो यह रूस की सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी विफलता मानी जाएगी, क्योंकि पुतिन के सुरक्षा घेरे में सेंध लगाना लगभग असंभव माना जाता है। रूस पहले से ही यूक्रेन युद्ध और पश्चिमी देशों से बढ़ते तनाव के चलते कड़े सुरक्षा प्रबंधों में लगा हुआ है, लेकिन इस धमाके ने सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
यह धमाका ऐसे समय पर हुआ है जब रूस और पश्चिमी देशों के बीच संबंध पहले से ही तनावपूर्ण बने हुए हैं। अमेरिका और नाटो देश लगातार रूस पर दबाव बना रहे हैं और यूक्रेन को हथियारों और सैन्य सहायता मुहैया करा रहे हैं। इस बीच रूस के अंदर ही अगर राष्ट्रपति के काफिले पर हमला होता है या उनकी सुरक्षा से जुड़ी कोई चूक सामने आती है, तो यह न केवल रूस के लिए बल्कि वैश्विक राजनीति के लिए भी एक बड़ी घटना साबित हो सकती है।
रूस के राष्ट्रपति कार्यालय, क्रेमलिन ने इस घटना को लेकर अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियां इस मामले की जांच में जुट गई हैं। आने वाले दिनों में इस मामले को लेकर और अधिक जानकारी सामने आ सकती है, जिससे यह पता चल सकेगा कि यह घटना महज़ एक दुर्घटना थी या फिर राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन को निशाना बनाने की एक बड़ी साजिश। रूस और वैश्विक राजनीति में इस घटना के क्या प्रभाव होंगे, यह देखना दिलचस्प होगा।