गठबंधन की खबरों के बीच तोते उड़ रहे हैं भाजपा खेमें में
* दिग्गज भी किनारा कर सकते हैं चुनाव लड़ने से
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली ,जब पूरे मुल्क में ही गठबंधन की राजनीति का दौर शुरू हो चुका है तो भला देश की राजधानी दिल्ली इससे अछूती कैसे रह सकती है | राहुल
गांधी की पहल पर विधानसभा चुनावों में भी इण्डिया गठबंधन विधानसभा चुनावों में भी गठ्बन्धन धर्म निभाने को तैयार दिख रहा है | महाराष्ट्र,जम्मू काश्मीर ,झारखंड के बाद अब हरियाणा में भी इसकी तस्वीर साफ़ होती दिख रही है तो भला दिल्ली इससे अलग कैसे हो सकती है | और ऐसा नहीं है कि केवल कांग्रेस ही गठ्बन्धन की राजनीति कर रही है भाजपा भी देश के साथ-साथ राज्य स्तर पर गठ्बन्धन करती रही है और आगामी विधानसभा चुनावों में भी कई राज्यों में यह सिलसिला जारी रहने की उम्मीद है |
दिल्ली में भी भाजपा कई बार सहयोगी दलों के लिए सीटें छोडती रही है | ताजा चर्चा दिल्ली विधानसभा के सम्भावित चुनावों को लेकर शुरू हो चुकी है | हालंकि लोकसभा चुनावों में गठ्बन्धन के तहत चुनाव लड़ी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की दिल्ली ईकाईयां विधानसभा चुनावों में गठ्बन्धन की सम्भावनाये कई-कई बार नकार चुकी है | लेकिन राहुल गांधी के स्टैंड के बाद अब ये सम्भावनाएं फिर से प्रबल हो गई हैं कि दिल्ली विधानसभा चुनावों में भी आप पार्टी और कांग्रेस के बीच दोस्ती के हाथ बढ़ेगें | सीटों के बंटवारे पर क्या फार्मुला बनेगा उसकी चर्चा चार राज्यों के चुनाव के बाद ही सामने आएगी लेकिन यह लगभग तय माना जा रहा है चुनाव गठ्बन्धन से ही लड़ा जाएगा | तमाम सर्वे ईशारा कर रहे हैं हरियाणा में कांग्रेस स्वीप करने जा रही है बावजूद इसके राहुल गांधी गठ्बन्धन धर्म ईमानदारी से निभाते दिख रहे हैं और उन्हें अपने सहयोगियों से भी यही उम्मीद है वे भी अपने-अपने प्रभाव वाले राज्यों में उनका अनुसरण करेगें | जिस तरह हरियाणा में कांग्रेस का माहौल है उसी तरह दिल्ली में आप पार्टीकी सम्भावनाएं किसी से छिपी नहीं हैं | और यदि चुनाव गठ्बन्धन के तहत हुए तो क्लीन स्वीप भी हो जाए तो कोई अचरज नहीं होगा |
वैसे भी पिछले दोनों विधानसभा चुनाव परिणाम किसी क्लीन स्वीप से कम नहीं माने जा सकते | गठ्बन्धन की खबरों के बीच दिल्ली की सत्ता का पिछले 26 साल से इन्तजार कर रही भाजपा में ना केवल ख़ामोशी महसूस की जा रही है बल्कि दिल्ली भाजपा के दिग्गजों के चेहरों पर उदासी भी आ गई है और उनका नारा 26 साल की इन्तजार अबकी बार भाजपा सरकार चार सौ पार की तरह ही अधूरा रहने की उम्मीद है | आज बस इतना ही …