ओवैसी की दिल्ली में एंट्री लाटरी लगा सकती है भाजपा की

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ओवैसी की दिल्ली में एंट्री लाटरी लगा सकती है भाजपा की

ओवैसी की दिल्ली में एंट्री लाटरी लगा सकती है भाजपा की

* आप और कांग्रेस को हो सकता है बड़ा नुकसान

– अश्वनी भारद्वाज –

नई दिल्ली ,असादुदीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन की दिल्ली की सियासत में एंट्री कोई नई बात तो नहीं है लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव में ओवैसी एक मजबूत ईरादे के साथ दिल्ली के चुनावी दंगल में कूदने की योजना बना चुके है और कोई बड़ी हैरत नहीं कि वे दिल्ली की ज्यादातर मुस्लिम बाहुल्य सीट पर अपने उम्मीदवार खड़े कर चुनावी दंगल को रोचक ना बना दें | जहां तक हमे सूचना है ओवैसी की नजर दिल्ली में किंग मेकर बनने की है ,भले ही सीट मिले या ना मिले लेकिन करीब एक दर्जन सीटों पर ओवैसी समीकरण बदलने का प्रयास जरुर कर सकते हैं | हालांकि आज का अल्पसंख्यक अपने हिसाब से चलना सीख चुका है लेकिन इतना तो तय है ओवैसी जब मुहं खोलते हैं तो मुस्लिम एकजुट हो या नहीं लेकिन हिन्दू जरुर लामबंद हो जाते है |

समझ गए ना आप वे इतना कठोर शब्दों का ईस्तेमाल करते हैं की ना चाहते हुए भी धुर्वीकरण के हालात बन जाते हैं | इसी बात का जिक्र हमने हैडलाईन में किया है कि ओवैसी की एंट्री से भाजपा की लाटरी लग सकती है | ओवैसी के प्रत्याशी भी अपने सिस्टम के हिसाब से तय होते हैं जिन्हें कुछ लोग कन्ट्रव्र्शियल भी कह सकते हैं लेकिन शायद वे ओवैसी के लिए बेनिफिसियल साबित हों यानी फायदे का सौदा | ओवेसी की मंशा क्या है ये तो वही बता सकते हैं लेकिन हर सियासी पार्टी की तमन्ना अपने परिवार ओर सियासत की तरक्की देखना होती है |

चर्चा है ओवैसी नेहरु विहार से पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को मुस्तफाबाद से विधानसभा चुनाव लडवा सकते हैं आप समझ ही गए होंगे यदि ऐसा होता है तो क्या होगा आम आदमी तथा कांग्रेस के प्रत्याशियों का | दूसरे शब्दों में मुकाबला ही ओवैसी बनाम भाजपा का हो जाएगा इस सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता | क्योंकि बीते सालों हुए दंगो की याद फिर से ताजा हो जायेगी और परिणाम भी उसके ईर्द गर्द ही घूमेगा | और यदि ओवैसी नें एक दो और प्रत्याशी इसी तर्ज पर और उतार दिए तो आसपास के और कई मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र भी इसी रंग में रंगते दिख जायेगें |

नगर निगम चुनाव परिणामों नें यह साबित भी कर दिया था सदा ना रहा है सदा ना रहेगा जमाना किसी का | यानी अल्पसंख्यक जहां ज्यादा तादाद में थे वहां उन्होंने आम आदमी को हराने के लिए कांग्रेस को वोट दिया था और कमोवेश ऐसे ही हालत ओवैसी की एंट्री के बाद होने की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता | कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दल अक्सर ओवैसी पर भाजपा के लिए काम करने का आरोप लगाते रहे हैं लेकिन केवल इसे ही आधार मानकर ओवेसी अपनी पार्टी का विस्तार रोकने से पीछे हटने वाले नहीं है | कमोवेश सभी पार्टियाँ अपना जनाधार बढ़ाने के लिए ही चुनावी जंग में कूदा करती हैं | आज बस इतना ही …

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