उत्तर पूर्वी दिल्ली : मनोज तिवारी सब पर भारी, चुनाव लड़ना लगभग तय

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उत्तर पूर्वी दिल्ली : मनोज तिवारी सब पर भारी, चुनाव लड़ना लगभग तय
उत्तर पूर्वी दिल्ली : मनोज तिवारी सब पर भारी, चुनाव लड़ना लगभग तय

उत्तर पूर्वी दिल्ली : मनोज तिवारी सब पर भारी, चुनाव लड़ना लगभग तय

* विरोधी उड़ा रहे हैं हवा जा सकते हैं बक्सर
* जमीनी स्तर पर की तैयारी शुरू

– अश्वनी भारद्वाज –

नई दिल्ली ,हैडलाइन पढ़ कर आप सोच रहे होंगे कि उत्तर पूर्वी दिल्ली संसदीय क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर से भाजपा के स्टार प्रचारक दो बार से सांसद मनोज तिवारी को मैदान में उतारने जा रही है | जी हाँ भाजपा हल्के में यह चर्चा जोरो पर है और हालातों ,समीकरणों तथा उनकी जमीनी तैयारी से भी यही संकेत मिल रहे है कि दिल्ली की सातों संसदीय क्षेत्रों में भाजपा की कोई उम्मेदवारी अभी तक पक्की है तो वह मनोज तिवारी की ही है | सूत्रों का तो यहाँ तक मानना है उन्हें पार्टी हाईकमान की तरफ से चुनाव लड़ने की झंडी भी मिल चुकी है | और मनोज तिवारी ना केवल एक दो माह से बल्कि करीब साल भर से अपनी चुनावी रणनीति बनाने में जुटे है बल्कि कायदे से उन्होंने चुनाव अभियान का एक दौर पूरा भी कर लिया है |

यह बात अलग है उनके विरोधी यह मुहीम चलाये हुए है इस बार मनोज तिवारी उत्तर पूर्वी दिल्ली से नहीं बल्कि बिहार के किसी संसदीय क्षेत्र से चुनावी जंग में दिखेगें | कुछ तो बाकायदा बक्सर क्षेत्र भी बताने से नहीं चूकते | लेकिन ऐसा नहीं है मनोज तिवारी अभी तक तो अपने सभी विरोधियों पर भारी पड़ते दिख रहे हैं | बात सन्गठन की करें तो अपनी पसंद के जिला अध्यक्ष बनवाने में वे कामयाब रहे | जिला भाजपा की टीम में भी अपने करीब अस्सी फीसदी लोगो को एडजस्ट कराने में सफल रहे | और कार्यकर्ताओं के साथ उनका लगातर सम्पर्क भी यही दर्शाता है वे आसानी से हार मानने वाले नहीं है |

रोजाना करीब दस से बारह घंटे अपने संसदीय क्षेत्र में रहना करीब दो साल से उनकी आदत सी बन चुकी है | जिला भाजपा का सम्मेलन रहा हो या कार्यकर्ताओं के साथ टिफिन भोज का कार्यक्रम सभी की कामयाबी उनके दावे को और मजबूत करती है | जहां तक दूसरे दावेदारों का सवाल है वह हमेशा हर क्षेत्र में रहते है लेकिन जो दावेदारी में जीतता है वही सिकन्दर कहलाता है | पिछले एक दशक में भाजपा हाईकमान नें उन्हें दिल्ली की सियासत में मजबूती से स्थापित किया है | दो बार सांसद बनाने के साथ-साथ प्रदेश भाजपा की कमान भी इसलिए दी गई थी उन्हें दिल्ली में रह रहे लाखों पूर्वांचलियों को भाजपा के साथ मजबूती से जोड़ा जा सके और मनोज नें पार्टी को यह करके भी दिखाया है | इसी के बल पर मनोज नें दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष जमीनी नेता
जे.पी/अग्रवाल तथा दिल्ली की लोकप्रिय मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित तक को शिकस्त दे दी थी | ऐसे में इन अटकलों में कोई दम नहीं है कि उन्हें बिहार भेजा जाएगा | दूसरे दावेदारों के रूप में महंत नवल किशोर दास,पूर्व विधायक कपिल मिश्रा ,दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता रामबीर सिंह विधूड़ी सहित और भी कई छोटे मोटे नाम है लेकिन हमारी नजर में सिकन्दर का तमगा मनोज को लगना तय है |

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