न फ्लाइट, न यात्री… 2079 करोड़ रुपये खर्च कर पाकिस्तान ने बनाया ये एयरपोर्ट; हर तरफ उड़ रहा मजाक

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न फ्लाइट, न यात्री... 2079 करोड़ रुपये खर्च कर पाकिस्तान ने बनाया ये एयरपोर्ट; हर तरफ उड़ रहा मजाक

Pakistans Gwadar Airport: पाकिस्तान का सबसे नया और महंगा ग्वादर इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनकर तैयार हो गया है. चीन से इसे 24 करोड़ डॉलर की लागत से बनाया है. अक्तूबर 2024 में यह एयरपोर्ट पूरी तरह से बनकर तैयार तो हो गया, लेकिन अभी चालू नहीं हुआ है. जहां यह एयरपोर्ट बना है वहां ना पैसेंजर है और न ही कोई प्लेन है. किसी को नहीं पता है कि न्यू ग्वादर इंटरनेशनल एयरपोर्ट कब चालू होगा.

चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर का अहम हिस्सा

करीब 4300 एकड़ में फैले इस एयरपोर्ट का काम साल 2019 में शुरू हुआ और 20 जनवरी 2025 को इसे आधिकारिक तौर पर खोला गया था. न्यू ग्वादर इंटरनेशनल एयरपोर्ट चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर का हिस्सा है, जो अरबों डॉलर का प्रोजेक्ट है. इसका उद्देश्य चीन के पश्चिमी शिनजियांग प्रांत को अरब सागर से जोड़ना है. ग्वादर के लोगों का कहना है कि इससे कोई खास लाभ नहीं होगा, जबकि पाकिस्तान के अधिकारी इसे बड़ा डेवलपमेंट बता रहे हैं.

पाकिस्तान के बलुचिस्तान क्षेत्र में स्थित ग्वादर क्षेत्र में बिजली, स्वच्छ पानी जैसै बुनियादी चीजों का आभाव है. न्यूज एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस (एपी) की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान-चीन संबंधों के विशेषज्ञ आजीम खालिद ने कहा, यह एयरपोर्ट पाकिस्तान या ग्वादर के लिए नहीं है. यह चीन के लिए है, ताकि वे अपने नागरीकों के लिए ग्वादर और बलूचिस्तान तक सुरक्षित पहुंच बना सकें.

ग्वादर में पाकिस्तान ने सुरक्षा बढ़ाई

इस हवाई अड्डे ऐसे समय में किया गया है जब बलूचिस्तान के आम लोग वहां चीन के शोषण का विरोध कर रहे हैं. बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) इस क्षेत्र में चीन के निवेशों को लगातार निशाना बनाते हैं, जिस वजह से पाकिस्तान ने ग्वादर में सैन्य उपस्थिति बढ़ा दी है. यहां आम लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. पाकिस्तान BLA को आतंकवादी संगठन मानता है.

स्थानीय लोगों ने क्या कहा?

चीन के कर्मचारियों और अधिकारियों की सुरक्षा सनिश्चित करने के लिए अक्सर यहां सड़कें बंद कर दी जाती हैं. एपी की रिपोर्ट के मुताबिक ग्वादर निवासी खुदा बख्श हाशिम ने कहा कि सड़कों पर उनसे पहचान मांगा जाता है. उन्होंने कहा, “हम कौन हैं, कहां से आ रहे हैं, कहां जा रहे हैं, कहां कहां के रहने वाले हैं, ये बतानी पड़ती है.” अधिकारियों ने दावा किया कि CPEC ने 2000 नौकरियां पैदा की हैं, लेकिन ये स्पष्ट नहीं है कि इसमें स्थानीय बलूच निवासियों को लिया गया या पाकिस्तान के दूसरे हिस्सों के लोगों को नौकरी मिली.

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