सत्ता के इर्द गर्द रहे मुकेश गोयल को रास नहीं आ रहा था अज्ञातवास

0
30
मुकेश गोयल
सत्ता के इर्द गर्द रहे मुकेश गोयल को रास नहीं आ रहा था अज्ञातवास

सत्ता के इर्द गर्द रहे मुकेश गोयल को रास नहीं आ रहा था अज्ञातवास

* नेता विपक्ष नहीं बनने से थे आहत

– अश्वनी भारद्वाज –

नई दिल्ली ,कांग्रेस में रहे तो सत्ता के इर्द गिर्द यानी की पोस्ट, दूसरी भाषा में मलाईदार पोस्ट , पाला बदल कर आम आदमी पार्टी में आये तो भी सत्ता की चाबी मिली | जी हाँ आप सही समझे हम उन्ही मुकेश गोयल की बात कर रहे हैं जिन्हें कांग्रेस नें निगम पार्षद,जिला अध्यक्ष ,स्थायी समितिका कई बार अध्यक्ष बनाया उसके बाद विधानसभा की टिकिट भी दी लेकिन कांग्रेस के गर्दिश में जाते ही सत्ता का मोह उन्हें आम आदमी पार्टी की तरफ ले गया | आम आदमी पार्टी नें भी उन्हें हाथों हाथ लिया और और ना केवल निगम की टिकिट दी बल्कि निगम सत्ता की चाबी भी उन्हें सौंप दी ,यानी सदन का नेता जैसा महत्वपूर्ण दायित्व भी
सौंप दिया |

हालत यह थी कि निगम का छोटे से बड़ा कोई भी मसला बिना उनकी सहमती के पूरा नहीं होता था | विधानसभा चुनाव आये तो आप पार्टी नें उन्हें जमीनी नेता समझ मैदान में उतर दिया लेकिन लगातार निगम पार्षद रहने के बावजूद वे जीत दर्ज नहीं कर सके और जीत भाजपा के पाले में चली गई | लेकिन निगम पार्षद बने रहे, हार के बाद उनकी निगाहें महापौर पद पर लग गई | लेकिन सदन में आम आदमी पार्टी बहुमत से दूर थी लिहाजा पार्टी नें महापौर चुनाव में प्रत्याशी उतारने का निर्णय नहीं लिया जो मुकेश गोयल को ठीक नहीं लगा | पार्टी के रणनीतिकारों नें मुकेश गोयल के आचरण को समझते हुए उन्हें नेता विपक्ष के पद से भी दूर रखा |

मुकेश के नजदीकी बताते हैं अंकुश नारंग की नेता विपक्ष के पद पर ताजपोशी के बाद से ही मुकेश गोयल आगे की रणनीति बनाने में जुट गए थे | आप नेत्रत्व से नाराज कुछ पार्षदों को अपने पाले में ले मुकेश गोयल के पास कोई और रास्ता बचता नहीं था | भाजपा निगम की सत्ता मिलने के बाद तोड़फोड़ के सीधे खेल से परहेज कर रही थी | जहां तक कांग्रेस का सवाल है कांग्रेस के पास कुछ पाने या खोने का दूर-दूर तक कोई कोई रास्ता कम से कम दिल्ली में तो है नहीं नजर नहीं आता | लिहाजा इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी का बैनर चुनना पड़ा | निगम की सियासत में इस घटक का क्या रोल होगा यह तो आने वाला समय बतायेगा लेकिन यदि मुकेश गोयल के दावे को सच माना गया तो निगम में तीसरे बड़े दल के रूप में तो मान्यता मिलेगी ही | सियासत के बाजार में चर्चा है आने वाले दिनों में इसका आप पार्टी की सियासत पर अच्छा ख़ासा असर पड़ेगा लेकिन हमारा मानना है ऐसा कुछ नहीं होने वाला लेकिन आप पार्टी को एक सबक जरुर मिल गया है अपनों पर भरोसा ना कर गैरों को गले लगाओगे तो ऐसे नजारे आगे भी देखने को मिलेगें इस सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता | आज बस इतना ही …

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here