जो एक बार मिल लिया उसका मन मोह लेते थे मनमोहन सिंह

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मनमोहन सिंह
जो एक बार मिल लिया उसका मन मोह लेते थे मनमोहन सिंह

जो एक बार मिल लिया उसका मन मोह लेते थे मनमोहन सिंह

* दो बार मिलने का मौका मिला हमें महान व्यक्तित्व से

-अश्वनी भारद्वाज –

नई दिल्ली , पूर्व प्रधानमंत्री और विश्व भर में आर्थिक सुधारों के जनक माने जाने वाले डॉ. मनमोहन सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे | लेकिन उनकी सौम्यता, सादगी और ईमानदारी जिसने उन्हें एक आदर्श नेता के रूप में पूरी दुनिया में स्थापित किया वो जीवन पर्यन्त याद रहेगी | वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में उनकी उपलब्धियों ने देश को एक नई दिशा दी | प्रधानमन्त्री पद से हटने के बाद भी देश की सरकार खासतौर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक भी उनसे आर्थिक मामलों में ना केवल सलाह मशविरा लिया करते अपितु खुद उनके घर भी शिष्टाचार के नाते मिलने पहुंच जाया करते | और मनमोहन सिंह भी उनकी आगवानी बड़ी गर्मजोशी से किया करते | नोटबंदी कोउन्होंने श्री मोदी की बड़ी भूल बता आम जनमानस की नब्ज भाँपी थी |

हालांकि विपक्ष उन्हें मोनी बाबा कहा करता लेकिन उन्हें जो करना होता था झटके से कर देते थे | गांधी परिवार के विश्वासपात्र मनमोहन सिंह सादगी की जीती
जागती तस्वीर थे | जैसा की हमने हैडलाइन में जिक्र किया हमें भी उनसे दो बार मिलने का मौका मिला जिसे आपसे साझा करना चाहता हूँ | बात 1991- 92 की है चौधरी प्रेम सिंह दिल्ली कांग्रेस के बड़े नेता थे और मनमोहन सिंह केंद्र में वित्त मंत्री थे हम प्रेम सिंह जी के साथ गोवर्धन जी की परिक्रमा करने जा रहे थे | पार्टी का सदस्यता अभियान चल रहा था प्रेमसिंह जी की जिम्मेदारी उन्हें सदस्य बनाने की लगाई हुई थी | प्रेम सिंह जी के साथ मुझे उनसे मिलने का मौका मिला ,जैसे ही मनमोहन सिंह जी की सदस्यता पर्ची काटी हम वहां से चल दिए ,तभी मनमोहन सिंह नें कहा प्रेम सिंह जी आपने सदस्यता शुल्क तो माँगा ही नहीं ,क्या फर्जी सदस्यता चलाते हो |

यह कह मनमोहन जी सिंह नें उन्हें सौ का नोट दिया ,प्रेम सिंह जी के पास खुले पैसे नहीं थे वे सौ का नोट लेकर चलने लगे तो मनमोहन सिंह नेंउन्हें रोका और
कहने लगे बाकी पैसे तो दे दो | प्रेम सिंह जी नें कहा इसीलिए तो पैसे नहीं ले रहा था उन्होंने कहा मुझे नहीं मालुम ये आपकी जिम्मेदारी है बाकी के पैसे आप भिजवा देना | समझ गए ना आप दुनिया के महान अर्थशास्त्री अर्थ का कितना महत्व समझते थे | हमें अच्छे से याद है प्रेम सिंह जी को खुले पैसे लेने के लिए इण्डिया गेट तक जाना पड़ा था और वहां से वापस आ बाकी पैसे उन्हें देने पड़े थे | यह तो रही हिसाब किताब की बात मनमोहन जी नें ना केवल प्रेम सिंह जी बल्कि हमें भी शाल पहनकर सम्मानित किया था |

सच पूछो तो उस दिन मनमोहन जी ने हमारा मन मोह लिया था | दूसरी बार हमारी मुलाक़ात बीच सडक पर आई.टी.ओं.रेड लाईट पर हुई | मनमोहन सिंह उस समय केवल सांसद थे रेड लाईट पर उनकी कार खड़ी थी और हमारी बाइक तभी हमारे साथ बैठे आसिफ नें कहा देखो सर मनमोहन सिंह जैसे लग रहे
हैं कार में बैठे व्यक्ति | यह बात मनमोहन सिंह जी नें सुन ली और उन्होंने कार का शीशा नीचे करते हुए हाथ मिलाया और आसिफ से कहने लगे हां काका आई एम.मनमोहन सिंह | थे ना कितने महान और सादगी से भरे मनमोहन सिंह ,आज की राजनीति में छोटे मोटे नेता का आचरण भी इतना सादगी भरा नहीं हो सकता जितना मनमोहन सिंह जी का था | ईश्वर उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान दें और उनकी आत्मा को शांति | आज का लेख उनके श्री चरणों में समर्पित …

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