Manipur Violence: मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, पांच जिलों में इंटरनेट बंद, बिष्णुपुर में कर्फ्यू लागू
मणिपुर एक बार फिर हिंसा की चपेट में आ गया है, जहां राज्य की संवेदनशीलता और अशांत हालातों के बीच तनाव फिर उभरकर सामने आया है। राज्य के पांच प्रमुख जिलों—इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम, थौबल, काकचिंग और बिष्णुपुर—में इंटरनेट और मोबाइल डेटा सेवाएं तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दी गई हैं। सरकार ने यह कदम राज्य में भड़की ताजा हिंसा और अफवाहों के फैलाव को रोकने के लिए उठाया है। बिष्णुपुर जिले में पूर्ण कर्फ्यू लागू कर दिया गया है, जिससे आमजनजीवन पूरी तरह ठप हो गया है।
तनाव की जड़ में मैतेई समुदाय से जुड़े कट्टरपंथी संगठन ‘अरम्बाई टेंगोल’ का एक प्रमुख नेता है, जिसकी कथित गिरफ्तारी के बाद प्रदेश में उग्र विरोध शुरू हो गया। इंफाल क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन ने अचानक उग्र रूप ले लिया, जहां प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर टायर, लकड़ी और फर्नीचर जलाकर रास्ता जाम कर दिया। कई इलाकों में प्रदर्शनकारी सुरक्षा बलों से भिड़ गए। इंफाल हवाई अड्डे के बाहर सैकड़ों लोग जमा हो गए और अफवाह फैल गई कि गिरफ्तार नेता को राज्य से बाहर भेजा जा रहा है। प्रदर्शनकारियों ने हवाई अड्डे के गेट के पास बैठकर रास्ता रोक दिया ताकि कथित ट्रांसफर को रोका जा सके।
क्वाकीथेल, उरीपोक और खुरई लामलोंग जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में हालात बेहद तनावपूर्ण हैं। खुरई लामलोंग में बीती रात एक बस को आग लगा दी गई, जबकि क्वाकीथेल क्षेत्र में कई राउंड फायरिंग की आवाजें सुनी गईं। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो सका कि गोलीबारी किस ओर से की गई। ऐसे हालात में पुलिस और अर्धसैनिक बलों की भारी तैनाती की गई है ताकि हिंसा को और न फैलने दिया जाए।
सरकार द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इंटरनेट सेवाएं 7 जून रात 11:45 बजे से अगले पांच दिनों तक के लिए बंद रहेंगी, ताकि सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही भ्रामक जानकारियों और उकसावे भरे कंटेंट को रोका जा सके। इसके साथ ही स्थानीय प्रशासन को अलर्ट मोड पर रखा गया है और हर स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
यह तनाव ऐसे समय में बढ़ा है जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है और नई सरकार गठन को लेकर राजनीतिक चर्चाएं तेज थीं। इस घटनाक्रम ने न सिर्फ शांति प्रक्रिया को झटका दिया है बल्कि एक बार फिर मणिपुर को हिंसा और अनिश्चितता की ओर धकेल दिया है। राज्य के हालात पर केंद्र सरकार की भी नजर है और गृह मंत्रालय से जुड़ी टीमें लगातार स्थानीय प्रशासन से संपर्क में हैं।
मणिपुर में पिछले एक साल से अधिक समय से सामाजिक तनाव, जातीय टकराव और सशस्त्र झड़पें लगातार सामने आ रही हैं, जिससे प्रदेश की सामान्य स्थिति बार-बार बाधित होती रही है। इस बार की हिंसा ने एक बार फिर राज्य को संकट के दौर में पहुंचा दिया है, जहां शांति बहाली एक बड़ी चुनौती बन चुकी है।