Lucknow bus fire: लखनऊ बस अग्निकांड: समस्तीपुर की मां-बेटी समेत 5 की दर्दनाक मौत, घर में मचा कोहराम
लखनऊ में गुरुवार सुबह एक दर्दनाक हादसे ने कई परिवारों की खुशियां छीन लीं। बिहार के बेगूसराय से दिल्ली जा रही एक निजी बस में अचानक आग लग गई, जिससे दो बच्चों समेत पांच लोगों की मौके पर ही जलकर मौत हो गई। मृतकों में समस्तीपुर जिले के हसनपुर थाना क्षेत्र स्थित मधेपुर गांव की लख्खी देवी और उनकी बेटी सोनी देवी भी शामिल हैं। हादसे की खबर मिलते ही गांव में मातम पसर गया, पूरा इलाका गमगीन हो उठा।
परिवार के अनुसार, अशोक महतो उर्फ रामप्रकाश महतो अपनी पत्नी लख्खी देवी (55), बेटी सोनी देवी (26) और ढाई साल के नाती आदित्य को लेकर बुधवार को मुसरीघरारी पहुंचे थे। वहां से सभी को दिल्ली जाने वाली बस में बैठाकर वे घर लौट आए थे। बस में चढ़ने के कुछ घंटे बाद ही उनके परिवार की जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई। लख्खी देवी का हाल ही में पेट का ऑपरेशन हुआ था और वे मुगलसराय में अपनी बड़ी बेटी अर्चना देवी के पास इलाज के लिए दोबारा जा रही थीं। योजना थी कि वे पहले इलाहाबाद में बेटे गुड्ड महतो के घर रुकें, फिर मुगलसराय के लिए निकलें। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
रात में परिजनों से फोन पर बात भी हुई थी, लेकिन सुबह हादसे की खबर ने सबको हिला दिया। दीपक महतो, जो मृतका का बेटा है, ने बताया कि यह सब कुछ एक डरावने सपने जैसा लग रहा है। उसने अपनी मां और बहन को हंसते-हंसते बस में बैठाया था, पर अब दोनों की जली हुई लाशें आने वाली हैं।
लखनऊ के मोहनलालगंज इलाके में किसान पथ पर चलती बस में सुबह करीब 5 बजे आग लग गई। आग इतनी तेज थी कि एक किलोमीटर दूर से लपटें देखी जा सकती थीं। प्रत्यक्षदर्शियों और पुलिस के अनुसार, बस में 80 से 90 यात्री सवार थे। आग लगते ही चीख-पुकार मच गई, लेकिन आपातकालीन द्वार नहीं खुल पाने के कारण यात्री फंस गए। कई यात्रियों को कांच तोड़कर बाहर निकाला गया, पर पांच लोग बाहर नहीं निकल सके और उनकी मौत हो गई।
अपर पुलिस आयुक्त रजनीश वर्मा ने बताया कि बस के गियर बॉक्स में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगी। हादसे में जिनकी मौत हुई, उनके नाम इस प्रकार हैं: लख्खी देवी (55), सोनी देवी (26), देवराज (3), साक्षी कुमारी (2), और मधुसूदन (21)। हादसे के बाद बस का चालक और सहचालक मौके से फरार हो गए। पुलिस उनकी तलाश कर रही है और मामला दर्ज कर लिया गया है।
इस हादसे ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं—क्या हमारी सड़कों पर दौड़ती बसें सुरक्षित हैं? क्या यात्रियों की जान की कोई कीमत नहीं? एक इलाज के लिए निकली मां-बेटी की यह अंतिम यात्रा बन जाएगी, किसे पता था। अब गांव में सिर्फ मातम और उन चीखों की गूंज रह गई है, जो राख बन चुकी एक बस के साथ हमेशा के लिए खामोश हो गईं।