Girls will be girls Review: ऋचा चड्ढा-अली फजल की बनाई टीनेज रोमांस पर सबसे शानदार फिल्म ,छा गए कनि, प्रीति और केशव

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Girls will be girls Review
Girls will be girls Review: ऋचा चड्ढा-अली फजल की बनाई टीनेज रोमांस पर सबसे शानदार फिल्म ,छा गए कनि, प्रीति और केशव
Girls Will Be Girls Review: अली फजल अब इंटरनेशनल स्टार हो गए हैं. अपने मिर्जापुर के गुड्डू भैया का भौकाल देश से विदेश तक पहुंच चुका है. वो कितने कमाल के एक्टर हैं ये बात वो अच्छे से साबित कर चुके हैं, ऋचा चड्ढा की एक्टिंग पर भी कभी किसी को शक नहीं रहा. वो इंडस्ट्री में अपनी एक अलग जगह रखती हैं, अब ये दोनों जब प्रोड्यूसर बनेऔ प्रोड्यूसर्स के साथ मिलकर उन्होंने अपनी पहली फिल्म बनाई है तो वो इतनी कमाल की होगी ये उम्मीद तो नहीं थी. हां इन दोनों से हमेशा अच्छे कंटेंट की उम्मीद रहती है लेकिन इन्होने बैक टू बेसिक वाला फॉर्मूला अपनाया और कमाल का सिनेमा बनाया. ये फिल्म अलग अलग फिल्म फेस्टिवल्स में तारीफें बटोर चुकी हैं, इसे देखने के लिए भीड़ लग चुकी है और अब ये अमेजन प्राइम पर आई है.
Girls Will Be Girls Review:  कहानी
मीरा यानि प्रीति पाणिग्रही अपने स्कूल के हेड प्रीफेक्ट है. बच्चों को अनुशासन में रखना उसका काम है. विदेश से उनके स्कूल में श्री यानि केशव बिनॉय पढ़ने आता है, और मीरा को केशव अच्छा लगने लगता है. मीरा की मां अनिला यानि कनि कसरुति चाहती है कि बेटी बस पढ़ाई पर ध्यान दे. दोनों मां बेटी के रिश्ते भी कुछ खास अच्छे नहीं हैं. श्री की मीरा की मां से भी दोस्ती होती है, फिर मीरा और श्री का रिश्ता क्या रंग लेता है औऱ मां बेटी का रिश्ता कैसे आगे बढ़ता है. टीनेज रोमांस को बड़ी खूबसूरती से दिखाती है ये फिल्म.
Girls Will Be Girls Review:  कैसी है फिल्म
ये फिल्म कमाल की है, अगर आप 90 के दशक में पैदा तो ये फिल्म आपको उसी दौर में ले जाएगी क्योंकि ये उसी दौर की कहानी है जब मोबाइल नहीं आए थे और मिस्ड कॉल वाला रोमांस चलता है. ये फिल्म काफी सिंपल है और यही इसकी ताकत है. कुछ कहानियां सिंपल ही अच्छी लगती है, कुछ कहानियों में जबरदस्ती का तड़का अच्छा नहीं लगता. ये कहानी भी वैसी ही है, आप अपने दौर को याद करेंगे और अगर आप उस दौर के नहीं है तो भी इस कहानी से रिलेट करेंगे. आपके आसपास ऐसी कहानियां दिखेंगी, इसके किरदार बहुत ज्यादा कन्विंसिंग लगते हैं. फिल्म अपनी पेस से चलती है जो बिल्कुल सही है. फिल्म में टीनेज रोमांस है और कुछ ऐसे सीन हैं जिन्हें आप बोल्ड कह सकते हैं लेकिन टीनेज रोमांस को उन सीन्स के बिना दिखाना शायद मुमकिन नहीं था. मां बेटी के रिश्ते को भी ये फिल्म बड़ी खूबसूरती से दिखाती है और बताती है कि मां बाप को टीनेज में बच्चों का दोस्त बन जाना चाहिए और उन्हें समझना चाहिए.
एक्टिंग
इस फिल्म की सबसे मजबूत कड़ी है इसके एक्टर जिन्होंने कमाल का काम किया है. कनी कुश्रुति ने मीरा की मां के किरदार में बहुत अच्छा काम किया है. उनका किरदार कमाल तरीके से लिखा गया है और उन्होंने इसे उतने की कमाल तरीके से निभाया भी है. उन्हें देखकर आपको अपने टीनेज में अपनी मम्मी की याद आएगी. प्रीति ने जिस तरह से एक टीनेज लड़की की किरदार निभाया है, उसे देखकर लगा नहीं कि वो नई एक्ट्रेस हैं. अगर उन्हीं की तरह एक्टर इस तैयारी के साथ फिल्मों में आएं तो मजा आ जाए. अली फजल और ऋचा ने उनपर जो भरोसा जताया वो उसपर पूरी तरह से खरी उतरी हैं. केशव बिनॉय किरण का काम भी शानदार है, एक ऐसा लड़का जो हर किसी को अपनी बातों से अपना मुरीद बना लेता है. ऐसे लड़के हमारे स्कूल कॉलेज में अक्सर होते हैं और केशव ने ये किरदार बड़ी शिद्दत से निभाया है.
डायरेक्शन और राइटिंग
शुचि तलाटी ने फिल्म लिखी और डायरेक्टर की है और वो इस फिल्म की हीरो हैं. उनकी राइटिंग और डायरेक्शन दोनों परफेक्ट हैं. टीनेज रोमांस को इससे अच्छे तरीके से शायद नहीं दिखाया जा सकता. फिल्म पर उनकी पकड़ मजबूत रही और वो जो कहना चाहती थी वो कहने में पूरी तरह से कामयाब रहीं.
कुल मिलाकर ऐसा सिनेमा देखा जाना चाहिए ताकि अली और ऋचा जैसे प्रोड्यूसर इस तरह का अच्छा सिनेमा और बनाएं.
रेटिंग- 4 स्टार्स

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