Ghaziabad Accident: गाजियाबाद हादसा: जर्जर इमारत ने छीने दो मासूम जीवन, प्रशासन पर फिर उठे सवाल
गाजियाबाद के तुलसी निकेतन इलाके में बुधवार रात जो हादसा हुआ, उसने पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया। एक बेहद पुरानी और जर्जर इमारत का छज्जा अचानक भरभराकर गिर पड़ा, जिसकी चपेट में एक 25 वर्षीय युवक आकाश और उसका 5 साल का मासूम भांजा वंश उर्फ लड्डू आ गए। दोनों को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस दर्दनाक दुर्घटना ने न केवल एक परिवार को उजाड़ दिया बल्कि पूरे क्षेत्र को गम और गुस्से में डुबो दिया।
घटना उस समय हुई जब आकाश अपने भांजे को टॉफी दिलाने के लिए पास की एक परचून की दुकान पर ले गया था। यह दुकान धीरज नामक व्यक्ति की थी। रात करीब 8 बजे दोनों दुकान के बाहर खड़े थे, तभी इमारत की तीसरी मंजिल से बने एक पुराने शौचालय सहित छज्जा भरभराकर नीचे गिर गया। गिरते हुए मलबे ने दुकान की टिन की छत को चकनाचूर कर दिया और उसके नीचे खड़े तीनों लोगों को अपनी चपेट में ले लिया। तेज धमाके और चीख-पुकार के बीच स्थानीय लोगों ने तुरंत मलबा हटाने का प्रयास किया और पुलिस को सूचना दी।
टीला मोड़ थाना पुलिस घटनास्थल पर तेजी से पहुंची और सभी घायलों को दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में भर्ती कराया। लेकिन आकाश और मासूम लड्डू की जान नहीं बचाई जा सकी। वहीं दुकानदार धीरज को मामूली चोटें आईं और प्राथमिक उपचार के बाद उसे छुट्टी दे दी गई।
घटनास्थल पर पहुंचे सहायक पुलिस आयुक्त अतुल कुमार सिंह ने बताया कि यह इमारत काफी पुरानी और असुरक्षित स्थिति में थी। जो हिस्सा गिरा, वह एक फ्लैट का शौचालय सहित छज्जा था जो वर्षों से बिना किसी मरम्मत के लटकता हुआ खड़ा था। हादसे के बाद इमारत की जांच शुरू कर दी गई है और जिम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई की बात कही गई है।
इस दर्दनाक हादसे ने फिर से प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जर्जर इमारतों की सूची होते हुए भी समय रहते मरम्मत या खाली कराने की प्रक्रिया क्यों नहीं होती? आखिरकार कितनी जानें और जाएंगी तब जाकर अधिकारी चेतेंगे?
तुलसी निकेतन की यह त्रासदी केवल दो जिंदगियों का अंत नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही की एक और कीमत है, जिसे एक परिवार ने अपने खून और आंसुओं से चुकाया है।