अम्बेडकर प्रकरण से भयभीत भाजपा दे सकती है दिल्ली को दलित अध्यक्ष
* किसी बड़े प्रतिष्ठान का नाम भी रखा जा सकता है
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली ,संसद में डॉ.भीमराव अम्बेडकर के बारे में होम मिनिस्टर अमित शाह का वक्तव्य ना केवल दिल्ली में बल्कि पूरे देश में बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है | तमाम विपक्ष इस मुद्दे पर एकजुट है ,कांग्रेस नें पहले संसद में तो अब सडकों पर इसे जन आन्दोलन बनाने का फैंसला लिया है | आम आदमी पार्टी हो या बहुजन समाज पार्टी सभी इस मुद्दे पर भाजपा को घेरने में लग गए है |
दिल्ली में विधानसभा चुनाव नजदीक है और यहाँ दलित वोटरों की तादाद भी अच्छी खासी है | इतना ही नही करीब सभी सीटों पर दलित वोटरउलटफेर करने की पोजीशन में है | दलित सन्गठन भी इस मुद्दे को ले काफी उतेजित दिखाई दे रहे है | आपको याद दिला दें भाजपा दिल्ली की सत्ता से 26 साल से बे-दखल है और उसे इस बार वापसी की उम्मीद भी है लेकिन अमित शाह के इस कथित उद्बोधन से दलित समुदाय खासतौर से डॉ.अम्बेडकर के अनुयायियों की भोएं तन गई है ऐसे में भाजपा को इस समुदाय के आक्रोश का सामना करना पड़ सकता है इस सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता | इस प्रकरण से ना केवल अमित शाह अपितु खुद प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी और संघ के बड़े अधिकारी चिंतित बताये जाते है | कुछ तो दबी जबान से कहते भी सुने जा रहे है दिल्ली में इस बार वापसी की जो उम्मीदें थी उसमें डेंट लग गया है | इसके दूरगामी परिणामों को भांपते हुए भाजपा अब डेमेज कंट्रोल के प्रयास में लग गई है |
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं और सन्गठन भी उन्हें इसकी इजाजत देने में संकोच नहीं करने जा रहा | ऐसे में माना जा रहा है दिल्ली भाजपा को नया अध्यक्ष देना ही पड़ेगा ,ऐसे में भाजपा दलित वोटरों को साधने का प्रयास करने से नहीं चूकने वाली और दिल्ली के किसी बड़े दलित वर्ग के चेहरे को यह कमान सौंप दलित वर्ग में एक बड़ा संदेश दे सकती है | जहां तक हमारी जानकारी है योगेन्द्र चंदोलिया और दुष्यंत गौतम जैसे बड़े चेहरों का नम्बर लग सकता है | वैसे पूर्व में इस पद के लिए सांसद मनोज तिवारी और कमलजीत सहरावत के नाम भी लिए जा रहे थे लेकिन भाजपा बड़े नुकसान को टालने के लिए दलित कार्ड खेल दलित वर्ग को साधने का प्रयास कर सकती है | इन हालत में पार्टी के पास और किसी नाम पर विचार करने का विकल्प भी हमारे हिसाब से नहीं बचता | इतना ही नहीं पार्टी के पास किसी बड़े सरकारी प्रतिष्ठान का नाम डॉ.अम्बेडकर के नाम पर करने का सुझाव भी कुछ रणनीतिकार दे रहे हैं | कुलमिलाकर भाजपा इस मुद्दे पर जल्द ही बैकफुट पर आ संभावित नुकसान की भरपाई
की योजना बना रही है | आज बस इतना ही …