चुनाव प्रबंधन समिति में हांका सबको एक लाठी ,कार्यकर्ताओं में भारी असंतोष
* मनोज तिवारी को कार्यकर्ताओं को साधने में आ रही है भारी दिक्कत
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली ,हैडलाइन में लाठी देख आप सोच रहे होंगे आज तो कहीं लट्ठ बजने का जिक्र होगा | जी हाँ आप सही समझे दो बार के सांसद और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके मनोज भैया के हल्के में कुछ ऐसा ही हो रहा है | दरअसल मनोज जी के रणनीतिकारों नें जो चुनाव प्रबंधन समिति बनाई है उसमें उन्होंने करीब तीन सौ लोगो की भर्ती तो करली लेकिन विभाग बांटते समय ना तो वरिष्ठता का ध्यान रखा गया और ना ही उनके पदों का | समझ गए ना आप जो 44 विभागों की सूची बनाई गई है में एक भी समिति का सयोजंक किसी को नहीं बनाया गया | सभी सदस्य हैं, आखिर कौन और किसके नेतृत्व में करेगा काम | इसे लेकर कार्यकर्ताओं में रोष होना स्वभाविक है | उसी समिति में विधायक भी सदस्य है और बूथ लेवल का कार्यकर्ता भी यानी सभी को एक ही लाठी हांका गया |
सन्गठन में महत्वपूर्ण पदों पर रहे लोगो को भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां नहीं दी गई | ऐसा हम नहीं कह रहे हमारे नेटवर्क से जुड़े दर्जनों कार्यकर्ताओं नें हमें बताया राजा इकबाल के सयोंजन में यदि दो सह संयोजक बनाने ही थे तो मोहन गोयल और सुग्रीव सिंह से कहीं ज्यादा अनुभवी लोग दोनों जिलों में मौजूद थे |
दोनों विधायक अजय महावर और जितेन्द्र महाजन को कुछ लोगो के साथ मतगणना समिति में रखा गया है वहीं मोहन सिंह बिष्ट को आरोप समिति में जगह दी गई है | जबकि इनके अनुभव का फायदा की पोस्ट देकर उठाया जा सकता था | संसाधन जुटाने के लिए जरुर इस काम में सक्षम मुकेश बंसल को जिम्मेदारी दी गई है | चर्चा है पूर्व जिलाध्यक्ष महक सिंह,सीताराम गुप्ता,राज कुमार बल्लन, कैलाश जैन सहित और भी कई को महत्वहीन समितियों में रख उनके अनुभव का लाभ लेने का प्रयास नहीं किया गया | या योँ कहिये रणनीतिकारों को उन पर पूरा भरोसा नहीं था | जिन लोगों नें बी.एल.शर्मा और लाल बिहारी तिवारी को चार-चार चुनाव लडवाए और खुद मनोज तिवारी के दो चुनावो में जमीनी मेहनत की उन्हें भी महत्वपूर्ण दायित्व सौंपने से बचा गया | प्रभारी बनाये गए चंदोलिया खुद चुनावी जंग में पहुंच गए | सह प्रभारी प्रवेश शर्मा को जरुर अनुभवी माना जा सकता है लेकिन दूसरे सह प्रभारी प्रमोद गुप्ता को भी एक वार्ड तक ही सीमित माना जा रहा है | कई अनुभवी निगम पार्षदों के नाम भी सूची में नहीं दिख रहे | आज बस इतना ही …