चुनाव की आहट से मनोज तिवारी को याद आये जनता के द्वार फोन भी नहीं उठाने वाले सांसद उतरे जमीन पर

0
125
चुनाव की आहट से मनोज तिवारी को याद आये जनता के द्वार फोन भी नहीं उठाने वाले सांसद उतरे जमीन पर
चुनाव की आहट से मनोज तिवारी को याद आये जनता के द्वार फोन भी नहीं उठाने वाले सांसद उतरे जमीन पर

 

– अश्वनी भारद्वाज –

नई दिल्ली , उत्तर पूर्वी दिल्ली के हाई प्रोफाइल सांसद मनोज तिवारी आजकल अपने निर्वाचन क्षेत्र में एकाएक सक्रिय हो गए है और हों भी क्यों ना
अगले साल लोकसभा के चुनाव जो हैं | यह चर्चा आजकल ना केवल उत्तर पूर्वी दिल्ली में बल्कि भाजपा कार्यकर्ताओं से ले भाजपा हाईकमान तक में है |

दरअसल पार्टी के आला नेताओं के पास ये शिकायते काफी समय से पहुंच रही है। सांसद मनोज तिवारी ज्यादातर कार्यकर्ताओं के फोन तक नहीं उठाते और ना ही उनके मैसेज के जवाब देते उनके काम कराना तो दूर की बात है | इतना ही नहीं घोंडा विधान सभा में गंभीर रूप से बीमार एक भाजपा कार्यकर्ता के ईलाज के लिए भी एक दो नहीं कई प्रमुख कार्यकर्ताओं नें उनसे सम्पर्क साधा लेकिन उस बेचारे की कोई फरियाद नहीं सुनी गई |

चुनवी आहट से मनोज तिवारी के तेवर अब ढीले पड़ने लग गए है और उन्होंने अब आर.डब्लू.ए.तथा भाजपाकार्यकर्ताओं के माध्यम से सांसद आपके द्वार कार्यक्रम के तहत लोगो से मिलना जुलना शुरू कर दिया है |

मिली जानकारी के मुताबिक पिछले लोकसभा चुनाव से पहले भी भाजपा के कुछ प्रभावशाली कार्यकर्ताओं के साथ साथ क्षेत्रीय संघ अधिकारीयों की रिपोर्ट के बाद मनोज तिवारी की दावेदारी पर बादल मंडराने लगे थे और एक बार तो ऐसा लग रहा था पार्टी मनोज तिवारी के स्थान पर पूर्व आई.पी.एस.अधिकारी दीपक मिश्रा को ही प्रत्याशी बनाने जा रही थी लेकिन संघ के एक बड़े पदाधिकारी तथा प्रभावशाली नेता रामलाल के हस्तक्षेप से मनोज तिवारी को फिर से मौका मिल पाया था |

कमोवेश आज भी वही संघ लोबी और भाजपा के बड़ी संख्या में कार्यकर्ता अपनी पुरानी मुहीम में जुट गए है | लिहाजा मनोज तिवारी उनकी मंशा को भापते हुए जमीन पर उतरने लगे है | मनोज तिवारी के सामने सबसे बड़ी दिक्कत यह भी है कि उनके निर्वाचन क्षेत्र के तहत भाजपा के तीन विधायक है लेकिन तीनो उनसे किसी ना किसी बात पर खफा है | हालांकि मनोज तिवारी चुनावी सीजन में उनसे पटरी बिठाने में जुटे है लेकिन तीनो सुलझे तथा मंजे हुए खिलाडी है वे उनके हाथ नहीं आने वाले | इन तीनो में से एक तो प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनना चाहते हैं जबकि दो खुद को मनोज तिवारी के विकल्प के रूप में देख रहे हैं | एक वरिष्ठ भाजपा नेता कहते हैं मनोज तिवारी अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं या नेताओं के स्थान पर दूसरी पार्टी के नेताओं को ज्यादा तवज्जो देते हैं और उनके घरो तक पहुंचते है जबकि अनेक पार्टी कार्यकर्ता उनसे मिलने को तरसते है |

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here