ईडी ने अवैध खनन और मनी लाउंड्रिंग मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को समन भेजा है। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ईडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 3 नवंबर को साढ़े 11 बजे पूछताछ के लिए बुलाया है। सूत्रों की मानें तो सीएम के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा के साहेबगंज स्थित आवास पर छापेमारी के दौरान कई अहम सबूत मिले हैं। ईडी सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री के बैंक खाते से जुड़ा चेक बुक मिला था। 2 चेक बुक में मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर होने की बात कही जा रही है। सीएम के करीबी प्रेम प्रकाश के हरमू स्थित आवास पर छापेमारी के दौरान ईडी ने 2 एके-47 राइफल और 60 गोलियां मिली थी। जब्त हथियार जिन 2 कांस्टेबल के थे, वे मुख्यमंत्री आवास की सुरक्षा में तैनात थे। हेमंत सोरेन की कुर्सी पर खतरे की तलवार उसी दिन से लटकी है, जब इसी साल फरवरी में बीजेपी नेता और पूर्व सीएम रघुवर दास ने उन पर आरोप लगाया कि सीएम रहते हेमंत ने अपने नाम से माइनिंग लीज ली है। बाद में इसकी शिकायत गवर्नर से की गई। राज्यपाल ने चुनाव आयोग से मंतव्य मांगा। आयोग ने 25 अगस्त को अपनी राय गवर्नर को भेज दी थी। गवर्नर ने अब तक उस पर अपना फैसला नहीं सुनाया है। हेमंत सोरेन से ईडी की पूछताछ को लेकर बीजेपी के नेता हमलावर हैं। नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट किया कि ‘झारखंड कीर्तिमान बनाने वालों का प्रदेश है। हेमंत सोरेन देश के ऐसे पहले मुख्यमंत्री बनेंगे जो घपले-घोटाले और लूट के आरोप में मुख्यमंत्री पद पर रहते ED के यहां पूछताछ के लिए पेश होंगे। भगवान न करे कि ये जेल से ही राज्य चलाने वाला मुख्यमंत्री का रिकॉर्ड भी झारखंड के नाम कर दें। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी को अगर ED ने बुलाया है तो वह यूं ही नहीं है। इन्होंने पैसे और दौलत की हवस में पूरे राज्य को गुंडे, मवालियों, दलालों, बिचौलियों और मुट्ठी भर चोर-बेईमान अफसरों के हवाले कर खुद सिर्फ लूट का माल बटोरने और खपाने के रास्ते खोजने का काम किया है। हेमंत जी शायद यह भूल गए कि जनादेश का मतलब लूट का लाइसेंस नहीं है और वोट से लूट के पाप को कवर नहीं किया जा सकता। आपने लूटा है तो सजा भी भुगतने के लिए तैयार रहिए। देश का कानून अपना काम कर रहा है। आप बेकसूर होंगे तो बेदाग निकल जाइएगा। वैसे पब्लिक सब देख समझ रही है।’ वहीं, अखबार के कटिंग को शेयर करते हुए बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लिखा कि ‘अब क्या बचा? लालू प्रसाद जी एवं मधु कोड़ा जी को जब CBI और ED ने पकड़ा, केंद्र में उन्हीं की सरकार थी। यदि उस वक्त कानून अपना काम कर रही थी, तो आज कानून राजनीति कैसे कर रही है?’