एक बार फिर से जहरीली होने लगी दिल्ली : परमानन्द शर्मा
लोगो को गुमराह करती है सरकार
– हर्ष भारद्वाज –
नई दिल्ली ,राजधानी में प्रदूषण लगातार बढ़ना शुरू हो गया है | आलम यह है की अब लोगो को सांस लेने में भी परेशानी होने लगी है | यह कहना है राम नगर वार्ड से नगर निगम का चुनाव लड़े पूर्व ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष परमानन्द शर्मा का | परमानन्द शर्मा कहते है दिल्ली सरकार हर दिन प्रदूष्ण कम करने की बातें करती है योजन्यें बनती है लेकिन उन पर अमल नहीं हो पाटा जिसकी वजह से दिल्ली लगातार जहरीली होती जा रही है | आज से दिल्ली एनसीआर.पर ग्रेप वन का शिकंजा तो कस गया है लेकिन हमेशा की तरह सरकार योजनायें तो बनती है लेकिन वे योजनायें लापरवाही की भेंट चढ़ जाती है |
हर साल प्रदूषण को रोकने में नाकाम दिल्ली सरकार नये-नये स्वांग रचती है लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात | परमानन्द शर्मा कहते हैं कि दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री गोपाल द्वारा प्रदूषण नियंत्रण के लिए जिन कारणों के खिलाफ विंटर एक्शन प्लान को कार्यान्वित करने की घोषणा की गई उन प्रदूषण कारकां पर नियंत्रण करने में आम आदमी पार्टी की सरकार पिछले 10 वर्षों में पूरी तरह विफल रही है। उन्होंने कहा कि ऑड-इवन, रेड लाईट ऑन-गाड़ी ऑफ, और स्मॉग टावर जैसी केजरीवाल के मन की योजनाओं को लागू करने के बावजूद प्रदूषण सर्दियों में प्रदूषण 100 एक्यूआई से उपर ही रहता है।
दिल्ली के प्रदूषण नियंत्रण के मामले में उपराज्यपाल को स्वयं हस्तक्षेप करना चाहिए क्योंकि गोपाल राय के 14 सूत्री बिंदु धूल कण, वाहन प्रदूषण, टूटी सड़कों के धूल, पराली जलाना, खुले में कचरा जलाना, औद्योगिक प्रदूषण, पटाखों पर प्रतिबंध, ग्रीन वॉर रूम और ग्रीन ऐप, हॉट स्पॉट, वास्तविक समय स्रोत विभाजन अध्ययन, हरित आवरण/नवनीकरण बढ़ाना, ई-कचरा इको पार्क, केंद्र सरकार और पड़ोसी राज्यों के साथ बातचीत और ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) का कार्यान्वयन में कुछ नया नही है, हर वर्ष दिल्ली सरकार इन पर काम करती है परंतु खतरनाक जानलेवा प्रदूषण पर नियंत्रण करने में नाकाम साबित होती है।
परमानन्द शर्मा कहते हैं कि केजरीवाल सरकार प्रदूषण नियंत्रण के लिए मिले फंड 742.69 करोड़ में से सिर्फ 29 प्रतिशत ही खर्च कर पाई है, प्रदूषण नियंत्रण के लिए कोई ठोस कदम क्यों नही उठाया | 24 करोड़ की लागत से बने स्मॉग टावर कोई काम नही कर रहे है। उन्होंने कहा कि आई.आई.टी. कानपुर सहित विभिन्न विशेषज्ञों से चर्चा हर साल करते है और पिछले कई वर्षों से कृत्रिम वर्षा जैसे कार्य भी करते रहे है, गोपाल राय की योजना में कुछ नया नहीं है, क्योंकि कृत्रिम वर्षा अनावश्यक और भावहीन साबित रहे हैं