ब्लाक तथा जिला अध्यक्षों की सूची बनाने में जुटी दिल्ली कांग्रेस
* जमीन से जुड़े लोगो को मिलेगा मौका
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली ,करीब दो माह की लंबी कवायद के बाद दिल्ली कांग्रेस अब अपने संगठन की चर्खियों में तेल डालने जा रही है | समझ गए ना आप यानी संगठन को मजबूती प्रदान करने की योजना है | लोकसभा चुनावों में बढ़े मत प्रतिशत को कांग्रस विधानसभा चुनावों में और मजबूत करना चाहती है और वह तभी सम्भव होगा जब वार्ड स्तर पर पार्टी मजबूत होगी, सन्गठन का गठन बूथ तक पहुंचेगा
| दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेन्द्र यादव को सन्गठन का आदमी माना जाता है | राजस्थान से लेकर उतराखंड और पंजाब जैसे राज्यों का प्रभार सम्भालने वाले देवेन्द्र की दिल्ली में भी जमीनी पकड़ है | पार्टी हाई कमान में पकड़ का ही नतीजा है दिल्ली का अध्यक्ष बनने के बावजूद अभी भी पंजाब जैसे राज्य का प्रभार उनके पास है | जहां तक दिल्ली का सवाल है कांग्रेस को उम्मीद है इस बार विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बेहतर रहेगा | इसके लिए पार्टी के रणनीतिकार प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया को भी नई धार देना चाहेगें | उन्हें मालुम है कार्यकर्ताओं के साथ-साथ जनता भी अब कांग्रेस के कई कई बार हार चुके चेहरों से ऊब चुकी है और यदि पार्टी नें अपनी नीति में बदलाव किया तो अपेक्षित परिणाम आ सकते हैं अन्यथा दो बार की तरह जीरो बैलेंस से ही काम चलाना पड़ेगा |
आप भी सोच रहे होंगे बात सन्गठन में बदलाव से शुरू की थी और कहाँ पहुंच गए | हां भाई बिना सन्गठन के दिल्ली बहुत दूर पहुंच जायेगी ,लोकसभा चुनावों में गठ्बन्धन और अनुकूल माहौल के बावजूद पार्टी खाता नहीं खोल सकी जिसकी केवल एक ही वजह थी कमजोर सन्गठन ,और कम से कम दो सीटों पर कमजोर प्रत्याशी | लिहजा दो विधानसभा चुनावों से खाली हाथ बैठी पार्टी सन्गठन और प्रत्याशी चयन को ले बेहद सतर्क है | दिल्ली कांग्रेस नें जिला स्तर पर तीन-तीन जमीनी पर्यवेक्षक निगरानी के लिए लगाये हुए है जो वार्ड से लेकर जिले तक की तमाम गतिविधयों पर ना केवल नजर रखते हैं बल्कि पार्टी नेत्रत्व को ब्रीफ भी करते है |
पर्यवेक्षक अपना खाका खींच चुके है ,जिला अध्यक्ष भी रिपोर्ट दे चुके हैं किस ब्लाक अध्यक्ष के कितने नम्बर है ,कौन आगे चल सकता है और कौन नहीं |पर्यवेक्षक ब्लाक के साथ-साथ जिला अध्यक्षों का रिपोर्ट कार्ड भी बना चुके है | कुल मिलाकर देवेन्द्र यादव की योजना है नाकारा ब्लाक अध्यक्ष हो या जिला अध्यक्ष अब नहीं चल पायेगें और नई टीम के साथ वे आगे की पारी मजबूती से शुरू करना चाहते हैं | देवेन्द्र यादव खुद कई मीटिंगों में कह चुके है जो लोग काम नहीं करना चाहते वे सम्मान के साथ खुद अलग हो जाएँ अन्यथा उन्हें नये लोगो को जिम्मेदारी देनी होगी | आज बस इतना ही ……