सिरे से ख़ारिज किया कांग्रेस को दिल्ली नें ,फिर भी उम्मीद कायम
कार्यकर्ताओं को उम्मीद है फिर लौटेगें
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली ,दिल्ली के मतदाताओं नें कांग्रेस पार्टी को एक बार फिर से नकार दिया है इसे दूसरे शब्दों में कहें तो दिल्ली के वोटरों नें कांग्रेस को सिरे से ख़ारिज कर दिया है | यह बात अलग है कांग्रेस नेता इसी बात का बखान करने में लगे हैं उनकी वजह से आम आदमी पार्टी की सरकार की विदाई हुई है और आने वाला समय हमारा है | ऐसा कहने वालों को यह भी समझना होगा ना तो अभी आम आदमी पार्टी की विदाई हुई है और ना ही आने वाला समय उनका है |
दिल्ली में यदि सरकार भाजपा की बनी है तो एकमात्र विपक्ष आम आदमी पार्टी का ही है | आप की सरकार में जब भाजपा के तीन और दूसरे कार्यकाल में आठ विधायकों को शांत करने के लिए मार्शल तक बुलवाने पड़ते थे तो अब तो विपक्ष का संख्या बल करीब तीन गुना 22 है जो सरकार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए पर्याप्त है | समझ गए ना आप जो दिखता है वही बिकता है | जब आपके पास दिखाने को ही कुछ नहीं है तो बिकेगा क्या | रही वह बात की कांग्रेस की वजह से ही आप पार्टी की विदाई हुई है यह गलतफहमी के अलावा कुछ नहीं है | आप पार्टी की विदाई अपने कर्मों के चलते ही हुई है | आपको यह याद दिला दें इसी आम आदमी पार्टी नें दिल्ली की सत्ता से कांग्रेस की विदाई की थी और ऐसी की थी की तीन – तीन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का खाता खुलना तो दूर अभी तक मत प्रतिशत भी दस का आंकड़ा टच नहीं कर पाया है |
हालांकि इसके पीछे कांग्रेस के प्रदेश नेत्रत्व भी जिम्मेदार रहे हैं, जिसकी चर्चा हम बाद में करेगें | पार्टी की मजबूती के लिए पार्टी के रणनीतिकारों को धरातल पर उतरना होगा केवल आंकड़ो की बाजीगिरी परोस या बेमतलब की बयानबाजी से बचना होगा | कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी नें जैसे कहा है हमें धरातल पर उतरने की जरूरत है पर काम करना होगा | यह बात ठीक है आप पार्टी नें कांग्रेस का पूरा का पूरा वोट बैंक हथिया लिया है आंकड़े बताते है कांग्रेस के पास अब केवल और केवल वही वोट बचे है जो कांग्रेस को ही वोट देते हैं | यह बात अलग है कुछ चुनिन्दा प्रत्याशी दस हजार तो कुछ बीस हजार का आंकड़ा पार किये हैं लेकिन हमें यह लिखने में कोई गुरेज नहीं यह उनकी अपनी मेहनत का परिणाम है और यदि इसी तरह कुछ और जमीनी लोगो को मौका मिलता तो पार्टी की इतनी फजीहत और किरकिरी नहीं होती | लेकिन दिल्ली कांग्रेस के कर्णधारों को इससे कुछ लेना देना नहीं था और ना ही विभिन्न प्रदेशों से लगाये गए पर्यवेक्षकों को | जब देवेन्द्र यादव,अभिषेक दत्त तथा रोहित चौधरी की जमानत बच सकती है तो और भी कुछ लोग इस जमात में शामिल हो सकते थे | यह हाल तो जब रहा पार्टी के शीर्ष नेत्रत्व नें इतनी जनसभाएं कभी भी दिल्ली के चुनाव में नहीं की | पार्टी यदि अपनी नीतियों में सुधार करेगी ,प्रत्याशी चयन में ईमानदारी से काम करेगी तभी कांग्रेस का कुछ कल्याण हो सकता है वरना हर चुनाव परिणाम के बाद आंकड़ों की बाजीगिरी का खेल जारी रहेगा और एक सौ चालीस साल पुरानी पार्टी की यूँ ही दुर्गति होती रहेगी | आज बस इतना ही …