कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की नहीं, मजबूत करने की जरूरत है

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कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की नहीं, मजबूत करने की जरूरत है

कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की नहीं, मजबूत करने की जरूरत है

* इस हालत में पार्टी को पहुँचाने वालों को दंडित करने की जरूरत है

– अश्वनी भारद्वाज –

नई दिल्ली ,हैडलाइन पढकर आप सोच रहे होंगे हम ये क्या लिख रहे हैं नहीं भाई नहीं ये शब्द हमारे नहीं है और ना ही हम इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल करते हैं | हाँ आगे वाले शब्द हमारे हैं समझ गए ना आप कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की बात दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव नें कही है और वो भी अपने जारी बयान में ,हमने तो उसमें सुधार किया है पुनर्जीवित नहीं मजबूत करने की जरूरत है | पुनर्जीवित उसे किया जाता है जो मर चुका हो या मरणासन्न हो ,किसने कह दिया कांग्रेस मर चुकी है या मरणासन्न है | आपको याद दिला दें लोकसभा में कांग्रेस के सौ के करीब सांसद है , और विपक्ष का दर्जा भी प्राप्त है | राज्य सभा में भी सम्मानजनक पोजीशन है , और वहां भी विपक्ष का नेता कांग्रेस का ही है | कुछ राज्यों में सरकारें भी तो कई में विपक्ष में भी है कांग्रेस ,कई राज्यों में गठ्बन्धन के तहत सत्ता में भागेदारी है |

ऐसे में कैसे कोई कह सकता है कांग्रेस को पुनर्जीवित करने का अभियान शुरू कर रहे हैं | जहां तक दिल्ली का सवाल है वहां भी यदि कांग्रेस को कोई पुनर्जीवित करने की बात करता है तो उस पर भी चिन्तन करना होगा आखिर यहाँ पर किसने कांग्रेस को इस हालत में पहुंचाया कि उसे मरणासन्न मानकर पुनर्जीवित करने की नौबत आन पड़ी है | इसमें कोई दो राय नहीं दिल्ली में कांग्रेस ना केवल कमजोर बल्कि बेहद कमजोर हालात में पहुंच चुकी है और निश्चित रूप से उसे मजबूत करने की जरूरत है ना कि मरणासन्न मानकर पुनर्जीवित करने की | आज भी दिल्ली में कांग्रेस को करीब सात फीसदी वोट मिले हैं ,निगम सदन में भी उसके कुछ सदस्य हैं | कांग्रेस नेता राहुल गांधी कांग्रेस की मजबूती के लिए दिन रात एक किये हुए हैं देशभर में उन्होंने न्याय यात्रा निकाली जो दिल्ली से होकर भी गुजरी लेकिन दिल्ली के कांग्रेस कर्णधार और सलाहकार उस यात्रा का भी लाभ नहीं उठा सके तमाम मेहनत के बाद भी जीरो ,जीरो और फिर जीरो ,लगातार तीन लोकसभा तथा तीन ही विधानसभा चुनावों में यह प्रदर्शन आखिर कौन जिम्मेदार है इन परिणामों का |

केवल नैतिकता निभाकर इस्तीफ़ा दे तो पार्टी को मजबूती नहीं दिलाई जा सकती लेकिन इस बार तो वह भी नहीं बची ,इस्तीफ़ा तो दूर की बात पार्टी को पुनर्जीवित करने की बात और चल पड़ी ,हमने पहले भी जिक्र किया पुनर्जीवित नहीं मजबूत करने के उपाय तलाशने होंगे ,ठेकेदारी प्रथा पर लगाम लगानी होगी ,जमीन से जुड़े बचे खुचे नेताओं को आगे लाना होगा ,बार-बार हार और शर्मनाक हार का प्रदर्शन करने वालों को कोई दूसरा काम सौंपना होगा तब कहीं कांग्रेस को मजबूती मिलेगी और अध्यक्ष जी की भाषा में पुनर्जीवन | मासिक ब्लाक तथा जिला बैठको से कुछ नहीं होने वाला ब्लाक से लेकर प्रदेश तक नई तथा जुझारू टीम बनानी होगी | जिनके कहने पर यानी सिफारिस पर टिकिटें बांटी गई उनका परिणाम और मिले वोट देखकर दंडित करना होगा | फिर कहीं कांग्रेस को मजबूत करने का इरादा बनाना होगा | आज बस इतना ही …

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