उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का असर बिहार में एनडीए पर भी पड़ता दिख रहा है। वहां मुकेश सहनी की विकासशील इनसान पार्टी की एंट्री बीजेपी की आंखों की किरकिरी बन गई है। वीआइपी यूपी की 165 सीटों पर अपने उम्मीदवार देने की तैयारी में है। वहां जनता दल यूनाइटेड के बाद अब वीआइपी ने बीजेपी की राह में मुश्किलें खड़ी कर दी है। वीआइपी यूपी में निषाद वोट बैंक को एकजुट कर अपनी जमीन मजबूत करने की रणनीति पर चल रहा है। बीजेपी भी झुकने को तैयार नहीं है।
जेडीयू नेता केसी त्यागी ने हाल ही में कहा था कि उनकी पार्टी यूपी विधानसभा चुनाव एनडीए के साथ लड़ने की कोशिश कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि इसपर अगर बात नहीं बनी तो जेडीयू सीमित सीटों पर अपने बल पर चुनाव लड़ेगी। स्पष्ट है कि यूपी में जेडीयू अधिक सीटों पर चुनाव लड़कर अपना आधार बढ़ाना चाहता है। उसकी नजरें बिहार सीमावर्ती व बिहारी प्रभाव वाली सीटों पर रहेगी। इसका सीधा प्रभाव बीजेपी पर पड़ेगा।
यूपी एनडीए में जेडीयू का पेंच फंसा ही हुआ है कि अब वीआइपी ने165 सीटों पर उम्मीदवार देने की घोषणा कर दी है। वीआइपी के अध्यक्ष मुकेश सहनी ने यूपी में निषाद वोट बैंक को अपने पाले में करने के लिए इस बिरादरी से आने वाली फूलन देवी का कार्ड खेला है। मुकेश सहनी ने यूपी में फूलन देवी शहादत दिवस मनाने की घोषणा कर इसका आगाज किया। हालांकि, वहां की याेगी आदित्यनाथ सरकार ने उन्हें ऐसा करने से रोका, उन्हें एयरपोर्ट से ही वापस लौटा दिया।
इसपर मुकेश सहनी उखड़ गए। इसके बाद से मुकेश सहनी की यूपी में बीजेपी से अदावत के कई उदाहरण हैं। यूपी में बीजेपी से मुकेश सहनी के ठनने के पीछे वहां कई इलाकों में निषाद वोटों की निर्णायक हैसियत है। वहां निषाद, मल्लाह और कश्यप वोट बैंक करीब चार फीसद है। बीजेपी यूपी चुनाव से वीआइपी काे आउट करना चाहती है।