प्रत्याशी चयन को ले असमंजस में है अभी तक भाजपा
* नहीं बना पा रही कोई भी ठोस नीति
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली ,अभी नहीं तो कभी नहीं की सोच दिमाग में रख चुनावी रणभूमि में उतरने की योजना बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी जंग में उतरने की रणभेरी भी नहीं बजा पा रही है | समझ गए ना आप भले ही चुनाव की घोषणा नहीं हुई है लेकिन प्रतिद्वन्दी सेना भाजपा पर बढत बनाती नजर आ रही है | यानी आम आदमी पार्टी और यहाँ तक कि कांग्रेस भी प्रत्याशी चयन को ले भाजपा से ज्यादा गंभीर नजर आ रही हैं | आम आदमी पार्टी जहां अपने सभी प्रत्याशी घोषित कर अपने काम पर लग गई है वहीं कांग्रेस भी तकरीबन एक तिहाई प्रत्याशी घोषित कर रणभूमि में डट गई है ,लेकिन भाजपा जो 26 साल का वनवास काट चुकी है अभी प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया में ही उलझी है जैसे अभी तक पार्टी यह ही तय नहीं कर पाई सीटिंग विधायकों को लड़ाना है या नहीं,निगम पार्षदों को मौका देना है या नहीं ,जिला अध्यक्षों को मैदान में उतारना है या नहीं |
हाँ चुनाव समिति की बैठक में इस बात पर सहमती तो जरुर हो गई है केवल और केवल जीतने वालों को ही आगे बढ़ाया जाए | इसीके चलते जो शोर्ट लिस्ट दो या तीन-तीन नामों की होनी थी उसमें कहीं -कहीं तो पांच-पांच नाम भी रखे गए हैं जहां निगम पार्षद का चेहरा मजबूत लगा है उनका नाम भी रखा गया है | और जहां जिला अध्यक्ष मजबूत दिख रहा है उसका नाम भी सूची में रखा गया है | जहां तक विधायकों का सवाल है अभी तो सीटिंग के नाम ही पहले स्थान पर रखे गए हैं भले ही आगे चलकर उन नामों पर कांट छांट हो | इस बाबत हम पहले भी विकल्प की चर्चा कर चुके हैं ,इस विषय पर बाद में भी प्रकाश डालेंगें | भाजपा के साधारण कार्यकर्ता से ले सभी छोटे बड़े कार्यकर्ता बड़ी बेसब्री से इस इन्तजार है आखिर उनकी पार्टी की रणनीति का खुलासा कब होगा और वे काम में कब जुट पायेगें क्योंकि आम आदमी पार्टी अपने मुखिया द्वारा की गई लोक लुभावनी घोषणाओं को जनता के बीच लगातार पहुंचा रही है जबकि भाजपा अभी तक अपनी रणनीति ही बनाने में लगी है | पहले संसद के सत्र में उलझे भाजपा हाईकमान अब डॉ.अम्बेडकर प्रकरण में उलझे हैं लिहाजा दिल्ली चुनाव को ले अभी उन्हें सोचने का वक्त ही नहीं मिला ,इधर आम आदमी पार्टी लगातार घोषणाओं की बौछार कर जनता को अपने पाले में खींचने के प्रयास कर रही है | इसमें ज्यादा देरी भाजपा के लिए घातक हो सकती है | आज बस इतना ही ….