Chhattisgarh Naxalites Encounter: छत्तीसगढ़-तेलंगाना बॉर्डर पर अब तक की सबसे बड़ी मुठभेड़, 5 नक्सली ढेर, हिड़मा बंकर में छिपा
सुरेश परतागिरी, बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर और तेलंगाना सीमा पर चल रहा देश का सबसे बड़ा एंटी नक्सल ऑपरेशन निर्णायक मोड़ पर पहुंचता दिख रहा है। 30 घंटे से जारी इस भीषण मुठभेड़ में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली है। अब तक मुठभेड़ में 5 नक्सलियों के मारे जाने की सूचना है। इन सभी के शव और हथियार बरामद कर लिए गए हैं। हालांकि मुठभेड़ जारी है और आधिकारिक पुष्टि का अभी इंतजार है।
5,000 जवानों ने किया मोर्चा, हिड़मा समेत 100 से अधिक नक्सली घेरे में
मंगलवार सुबह से शुरू हुए इस ऑपरेशन में छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र के करीब 5,000 जवान शामिल हैं। सुरक्षाबलों ने माओवादी संगठन की बटालियन नंबर-1 को घेर रखा है। मुठभेड़ कर्रेगट्टा, नडपल्ली और पुजारी कांकेर की पहाड़ियों पर जारी है। यहां नक्सलियों की बटालियन 1 और 2 के साथ DKSZCM, DVCM, ACM और संगठन सचिव जैसे बड़े माओवादी कैडर भी मौजूद हैं।
बंकर में छिपा है मोस्ट वांटेड हिड़मा
सूत्रों के अनुसार, पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) की कंपनी-1 का मोस्ट वांटेड कमांडर हिड़मा कर्रेगुट्टालू के एक गुप्त बंकर में छिपा हुआ है। उसके साथ दामोदर और आज़ाद जैसे बड़े माओवादी नेता भी मौजूद हैं। इलाके में बारूदी सुरंगों और घातक जाल की आशंका को देखते हुए सुरक्षाबल हर कदम फूंक-फूंक कर रख रहे हैं।
100 से अधिक IED बरामद, भारी सावधानी के साथ आगे बढ़ रही सेना
अब तक 100 से अधिक आईईडी बरामद हो चुके हैं, जो जवानों को निशाना बनाने के लिए बिछाए गए थे। ऐसे में डी-माइनिंग यूनिट और ड्रोन की मदद से इलाके की सघन निगरानी की जा रही है। CRPF, DRG, STF, कोबरा, ग्रेहाउंड (तेलंगाना), C-60 (महाराष्ट्र) जैसी विशेष बल इस ऑपरेशन में जुटी हुई हैं।
280 वर्ग किमी में फैला है ऑपरेशन, सीमावर्ती गांवों में तनाव
यह ऑपरेशन कर्रेगुट्टालू की घनी जंगलों और पहाड़ियों में लगभग 280 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। आसपास के गांव जैसे पेनुगोलू, कोंगाला, अरुणाचलपुरम, बोलारम, मलप्पुरम, लक्ष्मीपुरम, मुथारम और सीतारामपुरम में हाई अलर्ट है। प्रशासन ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे इन क्षेत्रों से दूर रहें।
कब तक चलेगा ऑपरेशन?
ऑपरेशन के लंबा खिंचने की संभावना है। जवान एक सप्ताह का राशन और जरूरी सामग्री साथ लेकर गए हैं। सुरक्षा बलों को उम्मीद है कि राशन की कमी के कारण पहाड़ियों में छिपे नक्सली नीचे उतर सकते हैं, जिससे निर्णायक कार्रवाई संभव हो सकेगी।
यह मुठभेड़ आने वाले दिनों में देश के माओवादी विरोधी अभियान के इतिहास में निर्णायक मोड़ बन सकती है। हिड़मा जैसे टॉप कमांडर का पकड़ा जाना या मारा जाना सुरक्षा बलों के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि होगी।