संपत्ति बढ़ती गई वोट घटते गए घोंडा में भीष्म शर्मा के
* हार चुके हैं 9 में 6 विधानसभा चुनाव
– अश्वनी भारद्वाज –
नई दिल्ली ,उत्तर पूर्वी दिल्ली की घोंडा विधानसभा से कांग्रेस की टिकट पर लगातार आठ विधानसभा चुनाव लड़े भीष्म शर्मा इस बार भी बुरी तरह से चुनाव हार गए | वैसे कांग्रेस की तरफ से लड़े सभी सत्तर के सत्तर प्रत्याशी चुनव हारे हैं लेकिन तीन की जमानते बची है तो एक दूसरे स्थान पर भी रहे है वहीं करीब एक दर्जन प्रत्याशी दस हजार से अधिक वोट लेने में भी कामयाब रहे हैं और तीन चार इससे भी ज्यादा लेकिन ज्यादातर पांच हजार का आंकड़ा भी नहीं छू पाए जिनमें से घोंडा से लड़े भीष्म शर्मा भी एक हैं |
भीष्म शर्मा की गिनती दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में इसलिए होती है वे विधानसभा के सबसे अधिक 9 बार चुनाव लड़ चुके हैं जिनमे से जीत केवल तीन बार उनके खाते में आई है | दो बार तो जीत शीला दीक्षित की लहर के दौरान ही उन्हें नसीब हुई है | यह बात अलग है उन्होंने सीमा से बाहर जाकर हमेशा शीला दीक्षित का विरोध किया और शायद यही वजह है शीला दीक्षित समर्थक उनसे दूरी बनाते चले गए और चुनावी जीत उनसे | समझ गए ना आप आज भी राजधानी दिल्ली में शीला दीक्षित के समर्थकों की कोई कमी नहीं है |
भीष्म शर्मा जिला कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे है बावजूद इसके कार्यकर्ताओं की टीम नहीं बना पाए ,उनके विरोध का आलम यह है की उनकी कार्यप्रणाली से नाखुश एक दो नहीं दर्जनों नेता पार्टी छोड़ आम आदमी पार्टी या भाजपा में शामिल हो चुके हैं ,भाई रोहताश हो या खुद गौरव शर्मा ,ठाकुर विनोद जायस हों या पार्षद रेखा रानी,बिजेंद्र प्रधान सहित दर्जनों नाम है जिनका जिक्र हम यहाँ नहीं करना चाहते | एक बात और और जिसका जिक्र हम करना जरूरी समझते है भीष्म शर्मा को इस बार पिछले चुनाव से भी कम वोट पड़े हैं पिछले चुनाव में उन्हें जहां 5 हजार चार सौ 84 वोट मिले थे वहीं इस बार केवल 4 हजार 883 यानी कुल मतदान का साढे तीन प्रतिशत से भी कम |
जबकि उनके खिलाफ जीत दर्ज करने वाले भाजपा के अजय महावर को 79 हजार 987 यानी करीब 57 फीसदी वहीं आप पार्टी के गौरव शर्मा को 53 हजार 929 करीब 39 फीसदी | घोंडा में टीम भीष्म के सन्गठन की पतली हालत का ये आंकड़े खुद बयाँ कर रहे हैं | हाँ एक और बात जो भीष्म शर्मा नें दिए अपने हलफनामों में जिक्र किया है पिछले पांच साल के दौरान उनकी सम्पति में कई गुना बढ़ोतरी हुई है जिसका जिक्र आंकड़ो के हिसाब से करना हम जरूरी नहीं समझते लेकिन हमारी समझ में इतना जरुर आ रहा है पंडित जी सम्पती का बढना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन एक राजनेता की असली सम्पत्ति जनता होती है उसका समर्थन बढ़ाने की भी उतनी ही जरूरत है जितना चल अचल सम्पति की | हमें उम्मीद है भीष्म भाई इस ओर ध्यान देंगे ताकि भविष्य में उनका जनाधार तेजी से बढ़े | आज बस इतना ही