‘चुनाव आते ही फड़फड़ाने लगती है जीभ’, अश्विनी चौबे का I.N.D.I.A गठबंधन के नेताओं पर तंज, आनंद मोहन पर क्या बोले?

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‘चुनाव आते ही फड़फड़ाने लगती है जीभ’, अश्विनी चौबे का I.N.D.I.A गठबंधन के नेताओं पर तंज, आनंद मोहन पर क्या बोले?

केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने विपक्ष के नेताओं को आड़े हाथों लिया. अश्विनी चौबे ने ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल नेताओं को देश की जनता से माफी मांगने की बात कही है.

केंद्रीय मंत्री सह बक्सर सांसद अश्विनी कुमार चौबे (Ashwini Kumar Choubey) ने आरजेडी सांसद मनोज झा (Manoj Jha) की ओर से संसद में पढ़ी गई ‘ठाकुर’ वाली कविता और अब्दुल बारी सिद्दीकी (Abdul Bari Siddiqui) द्वारा महिलाओं पर की गई टिप्पणी को लेकर ‘इंडिया’ गठबंधन पर जमकर भड़ास निकाली. संयम बरतने की नसीहत दे डाली. ‘स्वक्षता ही सेवा’ अभियान कार्यक्रम में अश्विनी चौबे रविवार (01 अक्टूबर) को अपने संसदीय क्षेत्र बक्सर पहुंचे थे.

इंडिया गठबंधन के नेताओं को केंद्रीय मंत्री ने देश से माफी मांगने की बात कही. दरअसल ‘ठाकुर’ वाली कविता और महिलाओं के ऊपर लिपस्टिक, पावडर एवं बॉब कट जैसे बयान के चलते बिहार में राजनीतिक तापमान बढ़ा हुआ है. इसको लेकर राजनीतिक गलियारों में जाति की राजनीति को लेकर चर्चा तेज है. ऐसे ही बयानों पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने विपक्ष के नेताओं को आड़े हाथों लिया और कहा कि जैसे ही चुनाव आते हैं इनकी जीभ फड़फड़ाने लगती है. ये उटपटांग, गलत और गंदी बयानबाजी करने लगते हैं जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.

अश्विनी चौबे बोले- ऐसे लोगों से सावधान रहें

अश्विनी चौबे ने ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल नेताओं को देश की जनता से माफी मांगने की बात कही है. उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष के लोगों द्वारा सनातन और जातियों का द्वेष फैलाकर जातियों से जातियों को लड़वाने का कार्य किया जाता रहा है. ऐसे लोगों से सावधान रहें. कहा, “नारियों का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान, सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान.” उन्होंने कहा कि किसी को भी किसी जाति धर्म को लड़ाने का काम बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने संविधान में नहीं दिया है.

‘काम करने वाले का स्वागत करते हैं’

वहीं आनंद मोहन की बीजेपी में एंट्री वाले मामले पर अश्विनी चौबे ने कहा कि हम किसी व्यक्ति का स्वागत नहीं बल्कि हम काम करने वाले उन सभी का स्वागत करते हैं. राजनेता राज धर्म को निभाएं, राजनेता जो राज करे और नीति का पालन न करे उसे राजनीति नहीं कहते.

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