विधायकों के टिकट काटने से एंटी कंबेंसी दूर नहीं होने वाली

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एंटी कंबेंसी
विधायकों के टिकट काटने से एंटी कंबेंसी दूर नहीं होने वाली

विधायकों के टिकट काटने से एंटी कंबेंसी दूर नहीं होने वाली

* एंटी कंबेंसी सरकार की है विधायकों की नहीं

– अश्वनी भारद्वाज –

नई दिल्ली ,अब जमाना प्रो कंबेंसी का शुरू हो चुका है ,एंटी कंबेंसी पुरानी बात हो चुकी जी हाँ हम बिलकुल सही कह रहे है यकीन नहीं आता तो पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव परिणामों का ही अध्ययन कर लीजिये एक दो नहीं बल्कि आधा दर्जन से अधिक स्टेट ऐसी हैं जहां ना केवल भारतीय जनता पार्टी नें बल्कि दूसरी पार्टियों नें भी प्रो कंबेंसी के बूते दुबारा सरकार बनाई अपितु कुछ राज्यों में तो जीत की हैट्रिक तक लगी |

पिछले महीने ही हरियाणा में हैट्रिक सरकार बनी तो ममता बनर्जी नें बंगाल में हैट्रिक लगाई ,खुद अरविन्द नें दिल्ली में आधी अधूरी सही लेकिन हैट्रिक लगाई | गुजरात तो हैट्रिक से भी आगे चल रहा है ,झारखंड में भी प्रो कंबेंसी चली तो महाराष्ट्र नें पिछले तमाम रिकार्ड तोड़ते हुए प्रो क्म्बेंसी सरकार बनाई ,इसी तरह मध्यप्रदेश ,आसाम सहित कई छोटे राज्य है जहां प्रो क्म्बेंसी का जादू चला | समझ गए ना आप यदि सरकार काम अच्छा करती है तो प्रो क्म्बेंसी भी सर चढ़ कर बोलती है | दिल्ली की शीला दीक्षित सरकार की हैट्रिक इसकी जीती जागती मिसाल है | आपको याद दिला दें आम आदमी पार्टी बढत बनाने के चक्कर में खटाखट – खटाखट प्रत्याशी घोषित करती जा रही है | करीब आधी सीटों पर प्रत्याशी घोषित करते-करते पार्टी अभी तक डेढ़ दर्जन के आसपास पुराने चेहरों को बदल चुकी है | और अभी इतने ही चेहरे और बदलने के कयास लगाये जा रहे है |

हालांकि इसके पीछे क्या वजह है इसकी चर्चा हम बाद में करेगें लेकिन यह कहा जा रहा है आप आदमी पार्टी एंटी क्म्बेंसी को कम करने के लिए नये चहेरों को उसी तरह सामने लाना चाह रही है जैसे भाजपा नें पिछले नगर निगम चुनावों तथा इसी लोकसभा चुनाव में फार्मूला अपनाया था | और कामयाबी भी हांसिल की थी | लेकिन अरविन्द केजरीवाल को यह समझ लेना चाहिए भाजपा सरकार या पार्टी पर इतने गंभीर भ्रस्टाचार के आरोप नहीं लगे थे जितने की खुद अरविन्द केजरीवाल और उनकी पार्टी पर लगे है | इसमें कोई राय नहीं दिल्ली सरकार को इस बार भारी एंटी क्म्बेंसी का सामना करना पड़ रहा है जिसकी काट के लिए रेवड़ी भी कडवी पडती दिख रही है और अरविन्द को नये चेहरे सामने लाने पड़ रहे हैं | लेकिन अरविन्द को यह समझ लेना चाहिए यह एंटी क्म्बेंसी किसी विधायक से ना होकर दिल्ली की सरकार से है लिहाजा नये चेहरे लाने से यह एंटी क्म्बेंसी खत्म नहीं होने वाली | आज बस इतना ही …

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